राजनांदगांव/डोंगरगढ़ (सेंट्रल छत्तीसगढ़) साकेत वर्मा : जिले के डोंगरगढ़ में स्वास्थ्य विभाग ने शासन द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रम ‘एक युद्ध कोरोना के विरुद्ध’ के तहत सोमवार को सभी वार्डों में मेगा कोरोना जांच शिविर लगाया, जिसमें शहर के सिर्फ दो हजार 13 लोगों ने ही दिनभर में जांच कराया, जबकि डोंगरगढ़ की आबादी 60 हजार से ज्यादा है, लेकिन जागरूकता सिर्फ 2013 लोगों ने ही दिखाई.

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राजनांदगांव में लगाए गए नि:शुल्क कोरोना जांच शिविर

शिविरों के माध्यम से किए गए जांच के बाद 49 लोगों के पॉजिटिव होने की पुष्टि हुई. सबसे ज्यादा जांच कराने के लिए वार्ड नंबर 1 के लोग सामने आए और अपना जांच कराया. इस वार्ड में 230 लोगों ने टेस्ट कराया, जिसमें से सिर्फ एक की ही रिपोर्ट पॉजिटिव आई. वहीं सबसे कम टेस्ट वार्ड 4 के लोगों ने कराया. यहां पर सिर्फ 30 लोगों ने ही जांच कराया. इसी तरह पूरे वार्डों को मिलाकर 2013 लोगों की जांच की गई. इनमें से 1905 लोगों का टेस्ट ट्रू नॉट और 73 लोगों का टेस्ट आरटीपीसीआर के माध्यम से हुआ है. इनमें शहर से 49 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है.

स्वास्थ्य विभाग ने 24 वार्डों से 3500 लोगों के टेस्ट करने का टारगेट रखा था, लेकिन 2013 लोग ही जांच कराने सामने आए. जांच अभियान को सफल बनाने के लिए विभाग ने सामाजिक संगठनों से भी मदद लेकर काफी प्रचार प्रसार किया था, लेकिन 60 हजार की आबादी वाले शहर में जागरूकता की कमी दिखी. लोगों के मन में जांच कराने को लेकर डर दिखा. शायद इसलिए ही कैंप में टेस्ट कराने लोग सामने नहीं आए. रविवार को 29 और सोमवार को 49 लोगों के रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद स्वास्थ्य महकमे ने होम आइसोलेशन को लेकर मरीजों से पूछताछ की. इसके बाद सभी मरीजों को राजनांदगांव के बम्लेश्वरी कोरोना केयर सेंटर में शिफ्ट कर दिया गया.

अफसर भी निकले फील्ड पर

शहर में लोक शिविर के साथ-साथ डोर टू डोर जागरूक करने के लिए अफसर भी फील्ड में उतरे. एसडीएम अविनाश भोई और बीएमओ बीपी इक्का ने शहर के अलग-अलग वार्डों में घूमकर लोगों को जांच कराने के लिए प्रेरित किया. वहीं अफसर और कर्मचारियों के फील्ड पर उतरने के बावजूद लोग जांच कराने के लिए सामने नहीं आए.

छोटे बच्चों ने भी कराया टेस्ट

कोरोना टेस्ट कराने के लिए छोटे बच्चे भी जागरूक दिखे. बुधवारी पारा वार्ड नंबर-15 की रहने वाली 7 साल की वाणी सिन्हा, दिव्यकिरण और राशि सिन्हा ने कोरोना टेस्ट कराया, जिसमें सभी की रिपोर्ट निगेटिव आई है, लेकिन कई लोग तो टेस्ट कराने के लिए सामने ही नहीं आए. जबकि मितानिन और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने लोगों को जागरूक करने में कोई कमी नहीं की.