कोरबा। प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के अपूर्ण रहने को लेकर जिला पंचायत के सीईओ द्वारा गंभीरतापूर्वक कार्यवाही की जा रही है। पूर्व में 60 प्रतिशत से कम प्लींथ का निर्माण पूर्ण नहीं करने वाले सचिवों का वेतन रोकने की कार्यवाही के निर्देश दिए गए थे जिनमें पांचों ब्लाक के कुल 24 सचिवों के नाम जारी किए गए। अप्रैल माह में जारी इस नोटिस के बाद एक बार फिर जिला सीईओ ने ऐसे 66 सचिवों के वेतन रोकने के निर्देश जारी किए हैं जिनके क्षेत्र में 70 प्रतिशत से कम प्लींथ निर्माण कार्य हुए हैं। इस तरह के आदेश से सचिवों में हडक़म्प मची हुई है।
गौरतलब है कि योजना अंतर्गत 70 प्रतिशत से कम आवास के प्लिंथ निर्माण कार्य नहीं करने वाले सचिव का वेतन रोकने की कार्यवाही करने के संबंध में जिला पंचायत सीईओ संबित मिश्रा ने उप संचालक पंचायत को निर्देश जारी किया है। 9 मई को जारी आदेश में कहा गया है कि प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के अंतर्गत दिनांक 24.02.2024 से दिनांक 04.05.2024 तक स्वीकृत आवासों में से न्यूनतम 30 आवास अपूर्ण रहने के बाद भी 70 प्रतिशत से कम आवास के प्लिंथ निर्माण कार्य नहीं करने वाले सचिव का वेतन रोकने की कार्यवाही किया जाना सुनिश्चित करेंगे।
0 अधिकारियों की उदासीनता का खामियाजा
इसमें कोई संदेह नहीं कि जनपद व ब्लाक स्तर के मैदानी अधिकारियों की उदासीनता योजना की कार्यपूर्णता के लिए अपेक्षाकृत ज्यादा जिम्मेदार हैं। आवास मित्रों ने अपने समय में खूब मनमानी की और योजना का पैसा हितग्राहियों से निकलवाकर डकार गए। यह विडंबना है कि आकांक्षी जिले में संरक्षित जनजाति के लोगों को वर्षों से प्रधानमंत्री आवास का इंतजार करना पड़ रहा है। ढांचा बनाकर छोड़ दिए गए आवासों में इनका गुजर-बसर हो रहा है। अधिकारियों के दौरे ग्रामीण क्षेत्रों खासकर पहुंचविहिन इलाकों में काफी कम होते रहे हैं लेकिन अनेक माध्यमों से यह बात उन तक पहुंचती रही कि आवास अधूरे हैं। सचिवों का वेतन रोकने की बात बार-बार हो रही है और आदेश भी जारी हो रहे हैं लेकिन इनके अतिरिक्त भी जो लोग जिम्मेदार हैं, उन पर भी कार्यवाही तय होनी चाहिए। अभी तो राज्य सरकार ने प्रधानमंत्री आवासों के लिए फ्री में रेत देने की घोषणा कर दी है लेकिन इस पर अमल व लाभ सवालों के दायरे में है।