खो सी गई है मां की ममता, बच्चे भूल गए हैं संस्कार



कोरबा।  मां शब्द से ही सारी सृष्टि समाई हुई है परंतु आज के बदलते दौर में मां की ममता कहीं खो सी गई है और कहीं बच्चे अपने संस्कार भूल गए हैं। 
अंतरराष्ट्रीय मातृ दिवस के प्रजापिता ब्रम्हाकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय सेवा केंद्र टीपी नगर में महिला दिवस का कार्यक्रम मनाया गया। कार्यक्रम में अधिवक्ता मधु पांडे, महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. रजनी पांडे, नेत्र विशेषज्ञ डॉ. रेनू श्रीवास्तव, सचिव साइन लैंग्वेज इंटरप्रेटर पद्मिनी साहू, इनरव्हील क्लब के अध्यक्ष सिमरन अरोरा, प्रसिद्ध कवि अंजना सिंह ठाकुर, भगवती देवी अग्रवाल, रश्मि ओहरी, सेवा केंद्र संचालिका ब्रम्हाकुमारी रुकमणी, ब्रम्हाकुमारी विद्या उपस्थित रही। मंचस्थ अतिथियों के द्वारा दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम आरंभ किया गया। डॉ. रजनी ने कहा वैचारिक प्रदूषण बढ़ रहा है। मीडिया का ज्यादा उपयोग संस्कारों को बिगाडऩे का कारण बनता जा रहा है। बच्चे स्वयं से कुछ नहीं सीखते वे माता-पिता को देखते हैं तब सीखते हैं चाहे अच्छा हो या बुरा। सेवा केंद्र संचालिका बीके रुकमणी ने कहा कि सबसे बड़ी मां ब्रम्हा और उससे भी ऊपर है परमपिता, वह भी हमारी मां है और तीसरी प्रैक्टिकल जीवन की मां है जगदंबा जिसका नाम परमात्मा शिव ने सरस्वती दिया तो यह तीन हमारी मां और समय भी हमारी मां है यह चार मां हमारे जीवन को परिवर्तन की दिशा दे रही है। मंच का संचालन शेखर राम सिंह व आभार प्रदर्शन समाजसेविका रश्मि शर्मा ने किया।

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