हिमांशु डिक्सेना (कोरबा):- बिलासपुर मार्ग पर स्थित पाली से 8 किलोमीटर की दूरी पर पहाड़ी में मां चेपा रानी का मंदिर है।यहाँ चैत व कुवार नवरात्रि पर्व में भारी संख्या में श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है यहां पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को 500 सीढ़ियां चढ़ने पड़ती है वहां कायाकल्प कर मां भवानी का नया मंदिर बनाया गया है सिद्ध बाबा व बूढ़ादेव भी वहां स्थापना की गई है ऊंचाई पर मंदिर स्थल से खुटाघाट बांध, सीपत एनटीपीसी, आदि अन्य जगहों को देखा जा सकता है। हर नवरात्रि में यहां भारी संख्या में श्रद्धालुओं पहुंचते हैं। इस नवरात्रि में भी यहां आसपास एवं बाहर से भी श्रद्धालुओं का भारी संख्या में आना जाना लगा हुआ है। इस वर्ष यहां नवरात्रि पर्व में कलश व ज्योत, जवारा, बोया गया है। मंदिर में समिति गठन कर पूजा पाठ कर समिति एवं गांव वालों के द्वारा मंदिर की हर समस्याओं को दूर किया जाता है। यहां पीने के पानी एवं बिजली की व्यवस्था के लिए समिति के सदस्य एवं ग्रामीणों के द्वारा काफी परेशानियों से गुजर व्यवस्था की जाती है। देवी दर्शन के लिए गए लोगों व वहां रह वासियों को इस समस्या से जूझना पड़ता है। पहाड़ के ऊपर बड़ा सा कुंड है। जिसमें पानी काफी मात्रा में भरा हुआ है। लेकिन वह पीने योग्य नहीं है, पहाड़ के नीचे एक हैंडपंप है जिसने भी पानी कम निकलता है। पहाड़ के दूसरी ओर एक कुआं है
। दोनों स्थिति में पहाड़ के नीचे से यहां के समिति के सदस्य व पर्व में दुकान लगाने वालों को पीने योग्य पानी लाना पड़ता है यहां मां चेपा रानी के मंदिर पहुंचने के लिए दो रास्ते हैं जिसमें पहला रास्ता नेशनल हाईवे रोड से ही दिखता है। जो कि खड़ी चढ़ाव होने के कारण अधिकांश लोग पहाड़ के किनारे से जाने के बाद पीछे के रास्ते से पहाड़ पर चढ़ते हैं। समिति के सदस्य एवं गांव वालों के द्वारा बताया गया कि 2006 में शासन के द्वारा सहयोग मिलने पर मंच एवं पीछे रास्ते से सीढ़ी बनाई गई थी जो अभी भी अधूरी है। वहां दान एवं सहयोग से सामने की सीढ़ी को मंदिर तक पहुंचने के लिए पूरा बनाया गया है। अभी हाल में ही बिजली की गर्जना से समिति के फ़सदस्यों को लगभग 30 से 35 हजार का नुक़सान हुआ। समिति के अध्यक्ष चंद्रिका सिंह नेटी आगामी 2006 से मंदिर समिति के अध्यक्ष बने हुए हैं। इनके द्वारा मंदिर के देखरेख एवं रखरखाव एवं समिति का संचालन बहुत अच्छा ढंग से किया जा रहा है।