डोंगरगांव (सेंट्रल छत्तीसगढ़) साकेत वर्मा : शहर में कोरोना संक्रमण में लगातार हो रही बढ़ोतरी को देखते हुए विगत कई दिनों से भवन की तलाश की जा रही थी. जिसके लिए शहर के विभिन्न सामाजिक भवनों को उपलब्ध कराने के लिए लोगों ने अपने-अपने स्तर पर सुझाव जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों को दिए थे, इसी बीच एक शिक्षक के द्वारा अपने और सामाजिक सरोकार से कोविड-19 सेंटर की शुरुआत करने की पहल की, लेकिन कोविड-19 सेंटर शुरू होते तक शहर की राजनीतिक उठापटक में उस शिक्षक का नाम ही गायब हो गया.

dongargaon gets new kovid care center

मुख्य सूत्रधार को ही भूले

वृद्धा आश्रम को बनाया गया नया कोविड केयर सेंटर
दरअसल शहर में रोजाना पॉजिटिव मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही थी. ऐसे में उन्हें स्वास्थ्य लाभ देने के लिए कोविड केयर सेंटर शुरू करने की जरूरत पड़ी. जिसके बाद चांदो निवासी प्रतुल वैष्णव ने कोविड-19 केयर सेंटर प्रभारी होरीलाल के साथ मिलकर भवन की तलाश की और नगर में नवनिर्मित वृद्धा आश्रम को इसके लिए चुना और अपने खर्च से बेड, नाश्ता, मनोरंजन का समान, पुस्तकें सहित अन्य आवश्यक चीजों के साथ उसे सुचारू रूप से संचालित करने का बीड़ा उठाया.

कोविड केयर सेंटर के शुभारंभ में मुख्य सूत्रधार को ही भूलें

डोंगरगांव में कोविड केयर सेंटर

इस संबंध में उन्होंने विधायक दलेश्वर साहू से मुलाकात की और उन्हें पूरी योजना के संबंध में बताया और इसे लागू करने के लिए सहयोग की मांग की. इसके लिए प्रतुल और होरीलाल दोनों ने काफी मेहनत भी की, 5 अक्टूबर से वृद्धा आश्रम की शुरुआत हो चुकी है. हालांकि इस केयर सेंटर को 25 सितंबर को शुरू होना था, लेकिन तकनीकी कारणों की वजह से शुरू नहीं किया गया. 5 अक्टूबर रविवार को डोंगरगांव विधायक की उपस्थिति में नगर के जनप्रतिनिधियों व समाजसेवियों की उपस्थिति में कोविड केयर सेंटर को शुरू कर दिया गया, लेकिन इन सबके बीच हैरान करने वाली बात ये रही इस कोविड-19 केयर सेंटर शुभारंभ के मौके पर मुख्य सूत्रधार को ही आमंत्रित नहीं किया गया.

श्रेय लेने की होड़

मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए वृद्धा आश्रम में कोविड केयर सेंटर शुरू हुआ, लेकिन यहां भी राजनीति हो गई. बता दें कि कोविड केयर सेंटर शुरू करने के लिए प्रतुल ने अपनी धनराशि लगाकर विधायक और नगर के जनप्रतिनिधियों के सहयोग से संचालित करने की योजना बनाई लेकिन शहर की राजनीति के चलते शुभारंभ के अवसर पर प्रतुल को ही छोड़ दिया गया. यहां तक कि उनके द्वारा दिए गए बेड को भी अन्य समिति के नाम से एंट्री कर दिया गया.

बता दें कि पूरे प्रदेश में पहला ऐसा मामला है जहां एक शिक्षक ने अपनी धनराशि लगाकर कोविड केयर सेंटर की शुरुआत की. इस संबंध में प्रतुल वैष्णव ने बताया कि उन्हें इस बात की काफी खुशी है कि उनकी पहल पर डोंगरगांव नगरवासियों को सहयोग मिला और कोविड केयर सेंटर शुरू किया गया. उन्होंने कहा कि आगे भी वे डोंगरगांव में अपनी सहभागिता निस्वार्थ रूप से देते रहेंगे.

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