शारदीय नवरात्र पर्व की शुरुआत शनिवार से सर्वार्थसिद्धि योग में हुई। भक्त माता की भक्ति में लीन है। अब आगे अष्टमी, नवमी और दशहरे का इंतजार हो रहा है। इन तीनों दिन को लेकर दुविधा की स्थिति भी है। हर किसी के मन में सवाल है कि अष्टमी और नवमी की पूजा किन तारीखों को होना और बुराई पर अच्छाई की विजय का पर्व कब मनाया जाना है? पं. अवधेश व्यास के मुताबिक इस बार अष्टमी और नवमी एक ही दिन होने के बावजूद नवरात्र में देवी आराधना के लिए पूरे नौ दिन मिलेंगे। जमीन-जायदाद, वाहन और अन्य चीजों की खरीदारी के लिए नवरात्र में हर दिन शुभ मुहूर्त होगा।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस साल अष्टमी तिथि का प्रारंभ 23 अक्टूबर (शुक्रवार) को सुबह 06 बजकर 57 मिनट पर हो रहा है, जो अगले दिन 24 अक्टूबर (शनिवार) को सुबह 06 बजकर 58 मिनट तक रहेगी। ऐसे में इस साल महा अष्टमी का व्रत 23 अक्टूबर (शुक्रवार) को मनाई जाएगी। हालांकि कहीं कहीं लोग इसे 24 अक्टूबर को भी मनाएंगे। इस दिन महागौरी की पूजा की जाती है। कन्या को भोजन करवाया जाता है और उन्हें गिप्ट बांटे जाते हैं।
पंचाज के मुताबिक, इस बार महानवमी तिथि का प्रारंभ 24 अक्टूबर (शनिवार) को सुबह 06 बजकर 58 से हो रहा है, जो अगले दिन 25 अक्टूबर (रविवार) को सुबह 07 बजकर 41 मिनट तक रहेगी। ऐसे में महानवमी का व्रत 24 अक्टूबर को रखा जाएगा। जिन घरों में महानवमी की पूजा होती है, वहां इस दिन कन्याओं को भोजन करवाया जाता है। इस दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। इस तरह शारदीय नवरात्रि में कन्या पूजन या कुमारी पूजा, महाष्टमी और महानवमी दोनों ही तिथियों को किया जाएगा।
शारदीय नवरात्रि की दशमी तिथि का प्रारंभ 25 अक्टूबर को सुबह 07 बजकर 41 मिनट से हो रहा है, जो 26 अक्टूबर को सुबह 09 बजे तक है। ऐसे में विजयादशमी या दशहरा का पर्व 25 अक्टूबर यानी रविवार को मनाया जाएगा। इस दिन देश भर में रावण के पूतले जलाएं जाएंगे। हालांकि इस बार कोरोना महामारी को देखते हुए आयोजन फीका रह सकता है। दशहरे के अगले दिन यानी 26 अक्टूबर को मां दुर्गा की मूर्ति का विसर्जन होगा। उस दिन सुबह 06:29 बजे से सुबह 08:43 बजे के मध्य दुर्गा विसर्जन कर देना चाहिए।