कटघोरा. / सेंट्रल न्यूज़
शशीकांत डिक्सेना
अविभाजित मध्य प्रदेश के बिलासपुर संभाग के सबसे पुराने तहसील कटघोरा नगर जहां ब्रिटिश जमाने में अंग्रेज शासन किया करते थे। उस दौर में कटघोरा अपना एक विशेष महत्व रखता था लेकिन आज कटघोरा अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है।सड़क पर जगह-जगह बड़े-बड़े गड्ढे,गली मोहल्लों में जगह जगह फैली गंदगी कचड़े सहज ही नजर आ जाएंगे कटघोरा वासी नारकीय जीवन जीने पर मजबूर हैं और गौर करने वाली बात यह है कि खनिज संपदा से मालामाल कटघोरा तहसील विकास की दृष्टि से अब भी कोसों दूर है। शिक्षा और स्वास्थ्य का हाल बेहाल है। कटघोरा नगर में मानो आवारा मवेशियों ने अपना कब्जा बना रखा है। कटघोरा से बिलासपुर की ओर जाने वाली मुख्य सड़क हो, कोरबा जाने वाली सड़क हो या फिर अंबिकापुर जाने वाली सड़क हो सभी सड़कों पर आवारा मवेशी सड़क के बीचो बीच बैठे नजर आ जाएंगे जिससे आए दिन छोटी- बड़ी दुर्घटनाएं घटित हो रही है। यहां आवारा कुत्तों की भी दहशत है आवारा कुत्ते गली मोहल्लों में खेलने वाले बच्चों को रोज अपना शिकार बना रहे हैं जिसे लेकर कटघोरा नगर पालिका परिषद मुस्तैद नजर नहीं आ रही है यहां प्रतिदिन कुत्ते के काटने से बच्चे दहशत में जी रहे हैं। आज भी राज कुर्रे पिता राजेश कुर्रे 11 वर्षीय बालक वार्ड नंबर 3 निवासी को एक कुत्ते ने शरीर के कई हिस्से को काट लिया है जिससे बालक गंभीर रूप से घायल हो गया है प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि अगर आसपास लोग नहीं होते तो बच्चे की जान भी जा सकती थी राज कुर्रे के हाथ पैर पर कुत्ते ने काटा है। जिसका उपचार कटघोरा समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में चल रहा है यहां यह बताना लाजमी होगा कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में रेबीज इंजेक्शन हर समय नहीं रहता जिससे मरीजों को भटकना पड़ता है। इन लावारिस कुत्तों पर लगाम लगाने नगर पालिका परिषद और जिला प्रशासन को इसे गंभीरता से लेते हुए लोगों को निजात दिलाने की जरूरत है।