पूरे विश्व के वैज्ञानिक जहां ग्लोबल वार्मिंग को लेकर चिंतित नजर आ रहे हैं। और पेड़ पौधे लगाने की बात कर रहे हैं ,लेकिन जंगल की हिफाजत करने वाला जंगल विभाग ही पेड़ों की कटाई में मस्त नजर आ रहे हैं, हम बात कर रहे हैं, कोरबा जिले के कटघोरा वन मंडल की जहां अधिकारियों के नाक के नीचे बांस के ऊंचे ऊंचे पेड़ों को मौत के घाट उतारा जा रहा है .,वह भी बिना किसी सरकारी जानकारी के या आदेश के यहां के डिपो प्रभारी का कहना है

सुना आपने जांगड़े साहब पहले यह कहते नहीं थक रहे हैं …..की बांस की कटाई वन विभाग के द्वारा की जा रही है, आगे हमारे रिपोर्टर के द्वारा सवाल किए जाने पर जांगड़े साहब बता रहे हैं कि जो मेहनत करेगा वही पेड़ का हकदार होगा ….क्या ऐसा वन विभाग का कोई कानून कहता है या फिर इनकी मनमानी जो साफ-साफ कह रहे हैं, कि जिनको जरूरत है पेड़ों को कटवाने की वह कुछ भी कर सकता है ..चाहे पेड़ों को काटने वालों को ही कीमती बांस उनके सुपुर्द कर दी जाए,यहां के डिपो प्रभारी चौबे साहब अपने आपको सर्वे सर्वा समझते हैं उनको ना तो किसी का डर है, और ना ही भय, तभी तो ठेकेदार के मुंशी साहब. अपने ठेकेदार का नाम पिंटू जैस्वाल बताकर बांस उन्हीं के ठिकानों पर डंप करना बता रहे है ….

बाईट:- ठेकेदार मुंशी

V.O.3…
जब हमारी टीम ने कटघोरा वन मंडल के एसडीओ मैडम से बात करनी चाही तो एसडीओ मैडम ने कैमरे के सामने कुछ भी कहने से मना कर दिया, और अपने मातहत कर्मचारियों को फोन लगाने में व्यस्त नजर आई, यहां यह साफ जाहिर हो रहा है कि एसडीओ मैडम की संलिप्तता के बगैर इतना बड़ा काला कारोबार कैसे फल फूल सकता है। जानकार बताते हैं कि ठेकेदार द्वारा भारी भरकम रकम कटघोरा के वन विभाग में हर महीने मानो किसी कंपनी की किस्त की तरह चुकाई जाती है, इसी वजह से बड़े साहब से लेकर छोटे कर्मचारी भी चुप पड़ जाते हैं जब हमने इस बारे में कटघोरा डीएफओ से बात करने के लिए समय चाहा तो डीएफओ साहब से ने अपने कर्मचारी से यह कहलाया की आज मीटिंग है मिलना संभव नहीं, जब हमने इस विषय की पूरी जानकारी यहाँ के वनपरिक्षेत्राधिकारी मोहर सिंग मरकाम से फ़ोन के माध्यम से जाना तो उन्होंने बताया कि डिपो के बाउंड्रीवाल के पास के बांस हमारे बगैर अनुमति के काटे जा रहे हैं उनसे अनुमति नहीं ली गई है…

फ़ोन पर मोहर सिंह मरकाम

यहां यह कहना लाजमी है कि एक तरफ भारत सरकार जंगलों को सहेजने लाखों करोड़ों रुपए पानी की तरह बहा रही है लेकिन उनके मातहत कर्मचारी अपनी जेब गर्म करने में लगे हुए हैं…. तभी तो काले कारनामे को अंजाम दिया जा रहा है वह भी बेखौफ होकर अब देखने वाली बात होगी कि राज्य में नई सरकार आ जाने के बाद वन मंत्रालय इस पर कोई ठोस कदम उठाती है यह तो आने वाला समय ही बताएगा….

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