कोरबा। शहर से लगभग 70 किलोमीटर दूर एक गांव है, जिसका नाम है चिर्रा। शहर से इस गांव तक की यात्रा में अनिगनत मोड़ और पड़ाव है, पहाड़ है, घने जंगल है, किसानों के खेत है और ग्रामीणों के घर भी। 
इस राह से गुजरते हुए गांव तक पहुंचना हर किसी को भाता है, कुछ तो प्रकृति के नजारों के बीच स्वमेव ही अपने ख्यालों में खो भी जाते हैं। इस बीच जैसे ही वे सफर तय कर चिर्रा पहुंचते हैं, उन्हें गांव में प्रवेश से पहले एक अदभुत और मन को मोह लेने वाला नजारा दिखता है। पूरे रास्ते प्रकृति को देखकर अपने ही ख्यालों में गुम लोगों के मन में इस नजारे को देखते ही सवाल उत्पन्न हो जाता है। वे कौतुहलवश जानना चाहते हैं, कौन सा गांव है यह? किसका खेत है? क्या पास में कोई बड़ी नदी भी है? और क्या-क्या फसल इन्होंने अपने खेत में उगाए हैं? गांव में प्रवेश के पहले ही अनेक सवालों में उलझ जाना शायद हर किसी के लिए लाजिमी भी है, क्योंकि इस गांव के कुछ परिश्रमी किसानों ने काम ही ऐसा कर दिखाया है कि कोई इनका नाम लिए और इनकी सराहना किए बिना आगे जाना नहीं चाहेगा। 
दरअसल कोरबा ब्लॉक के अंतर्गत आने वाला यह गांव चिर्रा है, जहां पहले पानी की भारी समस्या थीं। किसान फसल तो लेते थे, लेकिन सबकुछ बारिश पर ही निर्भर होता था। बारिश अच्छी हुई तो फसल होती थीं, वर्ना सूखे की वजह से धान का एक दाना भी नहीं मिल पाता था। कहने को तो इस गांव में और गांव के आसपास कोई बड़ी नदी भी नहीं है, लेकिन कुछ किसानों ने जल संरक्षण की दिशा में कदम उठाते हुए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नरवा, गरवा, घुरवा, बारी जैसी योजनाओं से प्रेरित होकर बरसाती नाले को बांधने का काम किया। उनकी मेहनत का ही परिणाम है कि अब किसानों के खेतो में साल भर पानी पहुंचता है। उन्हें बारिश पर ही निर्भर नहीं रहना पड़ता। गर्मी के दिनों में जहां कोरबा ब्लॉक के पहाड़ी क्षेत्र वाले अन्य खेत सूखे हुए नजर आते हैं, वहीं चिर्रा के गांव में आने से पहले खेतों में हरियाली सभी को आकर्षित करती है। यहां फसल लेने वाले किसान कल्याण सिंह करम सिंह घासीराम, विलास पटेल सहित अन्य लोगों का नाम भी अनेक लोग पूछते हैं। आम लोगों के मन में उठने वाले सवालों की तरह जब यह सवाल हमारे मन में भी उत्पन्न हुआ तो हमने किसान से बातें की। 
यहां फसल लेने वाले किसान कल्याण सिंह ने बताया कि गर्मी के दिनों में उनका और अन्य कई किसानों का खेत हरा-भरा रहता है। बारिश के दिनों में वे फसल तो लेते ही है, गर्मी में भी धान का फसल आसानी से ले पाते हैं। उन्होंने बताया कि पास ही किरकिला झरिया बांध और बरनमुड़ा नाला को बांधने के पश्चात किसानों के लिए सिंचाई का पानी उपलब्ध हो पाता है। किसान का कहना है कि पहले पानी व्यर्थ बह जाता था, हमने नाला को बांधकर खेतों के लिए पानी की व्यवस्था की है, इससे हम सिर्फ धान की दुगनी फसल ले पाते हैं, जिससे हमें आर्थिक फायदा मिलता है। कल्याण सिंह ने बताया कि बाहर से आने वाले अनेक लोग दूर-दूर तक हरियाली देखकर कुछ पल के लिए ठहर जाते हैं। उन्हें गर्मी के दिनों में लहलहाती फसल भी खूब भाती है और इस नजारे को वे सेल्फी के रूप में भी कैद कर ले जाते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *