डैक्स कटघोरा:- कटघोरा में इन दिनों ससुखदार व्यवसाईयो के द्वारा जमीन खरीदी बिक्री का गोरखधंधा जोरो पर पाँव पसार रहा है।जिसमे रसूखदार दबंगई पूर्वक ऊँची पहुच का हवाला देकर गरीब असहाय लोगो की जमीन पर कब्जा करने में पीछे नही हट रहे हैं।इसमे प्रशासन की मिलीभगत साफ साफ छलक रही है जो शहर में शासन की नाक तले अवैध निर्माण चल रहा है और शासन केवल मूकदर्शक बना हुआ है।ऐसा ही एक मामला कटघोरा तहसील में आया है जिसमे स्थानीय निवासी एक गरीब असहाय अबला नारी ने अपनी निजी भूमि का हवाला देते हुई पीड़ा व्यक्त की है और आज न्याय के लिए शासन के दफ्तरों का चक्कर काटने को मजबूर है।
दरअसल मामला इस प्रकार है ग्राम डूडगा की रहने वाली रमला बाई पति स्व संतोष कुमार यादव ने कटघोरा तहसील में दिनांक 28/08/2019 को शिकायत पत्र प्रस्तुत किया है जिसमे रमला बाई ने अपनी निजी भूमि ख. न.390/1झ रकबा 0.020 ग्राम हुकरा में होने का ज़िक्र किया है।इस भूमि पर पीड़िता रमलाबाई के वासिनो का कई सालो से कब्जा रहा है।पीड़िता के पति का स्वर्गवास होने के उपरांत परिवार गरीबी में पारिवारिक परिस्थितियों की मार झेल रहा है और वर्तमान समय मे पीड़िता का परिवार ग्राम डूडगा में रह कर रोजी मजदूरी कर अपना जीवन यापन कर रहा है।पीड़िता ने बताया कि आसपास के लोगो के बताये जाने पर मुझे जानकारी मिली कि कटघोरा निवासी निर्मला सिह के पति ए पी सिंह के द्वारा मेरी निजी भूमि पर दबंगई पूर्वक छड़, ईंट, रेत, गिट्टी और सीमेंट रख कर जबरन कब्जा कर निर्माण कार्य किया जा रहा है तो पीड़िता निर्माण कार्य की जानकारी लेने तो मौके पर पहुँची और निर्माण कार्य देख हतप्रभ रह गई और बिना देर किये पीड़िता ने तत्काल कटघोरा तहसील पहुँच कर तहसीलदार को अवैध रूप से दबंगई पूर्वक किये जा रहे निर्माण कार्य की जानकारी दी लेकिन आज हफ्ता भर बीत गया पर शासन ने अबला नारी गरीबी झेल रही रमलाबाई की सुनने की बजाय कार्यवाही करेंगे कह कर बिदा कर दिया और आज पीड़िता न्याय पाने के लिए शासन के दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर हो गई है।
*तहसीलदार को अवैध निर्माण कार्य की जानकारी देने के बाद भी निर्माण कार्य जारी रहा।*
आवेदिका रमलाबाई के द्वारा तहसीदार को आवेदन पत्र प्रस्तुत किया गया था जिसमे तहसीलदार ने आवेदिका को जाँच का हवाला देकर जाँच किये जाने की बात कही थी पर जाँच का तो पता नही लेकिन व्यवसाई ने निर्माण कार्य जारी रखते हुए सेंट्रिंग कर लेन्टर ढलाई तक कर डाला।अब सवाल यह उठता है कि जब आवेदिका ने शासन को अवैध निर्माण कार्य अवगत करा दिया था तो निर्माण कार्य पर स्थगन आदेश तक जारी नही किया गया जो कि कई सवाल खड़े करता है।