कोरबा। कोरबा जिले के वनांचल क्षेत्रों में ग्रामीण तेंदूपत्ता संग्रहण के काम में मशगुल हैं। दूसरी ओर क्षेत्रों में हाथियों की धमक बनी हुई है। ग्रामीण हाथियों के हमले के खतरे के बीच तेंदूपत्ता संग्रहण का काम कर रहे हैं। हालांकि कुछ क्षेत्रों में वन अमला द्वारा निगरानी जरूर की जा रही है। वन मंडल कोरबा में पसरखेत जंगल क्षेत्र में हाथी विचरण कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कटघोरा वन मंडल में दल ने एक बार फिर से डेरा डाल दिया है। तेंदूपत्ता संग्राहकों को सतर्क किया जा चुका है। पसान से केंदई वन परिक्षेत्र में भ्रमण कर रहे 23 हाथियों के दल पर इन दिनों नजर रखी जा रही। अलग-अलग टुकडिय़ों में बंटे होने और जंगल के भीतर हाथियों के दल के होने से लोगों को सतत सतर्क किया जा रहा है। हाथियों के आने के पहले गांव में मुनादी कराकर फड़ बंद किया जा रहा है। तेंदूपत्ता संग्रहण को लेकर संग्राहक परिवार में प्रतिस्पर्धा देखी जा रही है। पखवाड़े भर पहले हो रही वर्षा का असर इस बार तेंदू पत्ता संग्रहण पर पड़ा है। एक मई को शुरू होने वाली संग्रहण की शुरूआत इस बार आठ मई को की गई है। तपती धूप और जमीन गर्म होने से पत्ते जल्दी सूखने लगे हैं। इससे बोरे में भराई करने में आसानी हो रही है। लेमरू, कोई, विमलता व ठाकुरखेता सहित बड़े फड़ों के पत्ते देरी से तैयार हुए हैं। अब यहां भी पत्तों की तोड़ाई में प्रगति आ चुकी है। विभागीय अधिकारी की माने तो चार दिन के भीतर 30 प्रतिशत पत्तों की तोड़ाई जंगल से हो चुकी है। शाख कर्तन का काम सघन जंगल में समय पर होने का असर बेहतर पत्तों के रूप में दिखने लगा है।
पत्ता संग्रहण के कोरबा वनमंडल में 238 और कटघोरा में 481 फड़ बनाए गए हैं। पत्तों का दर बीते वर्ष की तरह 400 रुपये सैकड़ा रखा गया है। अब संग्रहित पत्तों पर गौर करें तो कोरबा वनमंडल में 16 हजार 123 और कटघोरा में 22 हजार 102 मानक बोरा पत्तों का संग्रहण किया जा चुका है। यह कार्य 22 मई तक जारी रहने की संभावना है।

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