कोरबा। भाई-बहन के पवित्र स्नेह और अटूट बंधन का पर्व रक्षाबंधन ऊर्जाधानी में हर्षोल्लासपूर्वक परंपरागत मनाया गया। कम समय में रक्षाबंधन का त्योहार मनाने की आपाधापी मची रही। त्योहार की चहल-पहल बाजारों में बनी रही। मिठाई की दुकानों से लेकर कपड़ों और सराफा दुकानों में बहनों के लिए उपहार खरीदने भाई पहुंचते रहे। बहनों ने तिलक वंदन कर आरती उतारने के पश्चात भाईयों की कलाई में राखी बांधी। बहनों ने भाईयों को आशीर्वाद दिया और भाईयों ने बहनों को यथासंभव उपहार भेंट दिया।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने रक्षाबंधन पर विभिन्न सरोकार दिखाये। विभिन्न बस्तियों में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य वक्ताओं ने रक्षाबंधन को पौराणिक से लेकर वर्तमान संदर्भ में रेखांकित किया। द्वापर युग में सुदर्शन चक्र चलाने के दौरान भगवान कृष्ण की अंगुली को क्षति पहुंचने पर द्रौपदी ने बिना देर किये अपनी साड़ी के एक हिस्से को फाडक़र श्रीकृष्ण के तर्जनी पर पट्टी कर उनकी रक्षा की थी। समय आने पर श्री कृष्ण ने चीरहरण की घटना के दौरान साड़ी को बढ़ाकर न केवल सहायता की बल्कि अस्मिय्ता का सम्मान किया। चिरंतन काल से रक्षाबंधन पर्व मनाया जाता रहा है। संघ में भी राष्ट्र की रक्षा,समाज की रक्षा और समाज से भेदभाव हटाकर सामाजिक समरसता का भाव जगाने के लिए ही इस उत्सव को मनाने की परंपरा है। इस कड़ी में हेमंत माहुलीकर, नरसिंह शास्त्री, सत्येन्द्रनाथ दुबे, भानु साहू, सह बौद्धिक प्रमुख नागेंद्र वशिष्ठ, कैलाश नाहक, योगेश्वर, केशव, अरुण कौशिल, प्रवीण रॉय, डॉ. राजीव गुप्ता, अरविंद स्वर्णकार, डॉ. विशाल उपाध्याय मुख्य वक्ता थे। चिमनीभट्टा, मैग्जिनभाठा, रामपुर, खरमोरा के अटल आवास, काशीनगर, खपराभ_ा समेत अनेक स्थानों पर इस तरह के कार्यक्रम किये गये। सेवा बस्तियों में स्वयं सेवकों ने नागरिकों को रक्षा सूत्र बांधकर मुंह मीठा कराया।