कोरबा। जिले के ग्राम पंचायतों को टीबी मुक्त बनाने हेतु टीबी मुक्त पंचायत हेतु पहल शुरू की गई है। जिले को टीबी से मुक्त करने के लिए निर्धारित समय सीमा 2025 में प्राप्त करने का लक्ष्य रखा गया है। पंचायती राज संस्थाओं में सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए ‘‘स्वस्थ गावों‘‘ की अवधारणा की परिकल्पना की गई है। इसी अवधारणा से स्वास्थ्य केन्द्र, उप स्वास्थ्य केन्द्र, ग्रामीण स्तर पर कार्यरत स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा आयुष्मान भारत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर एवं ग्राम पंचायतों के सहयोग से टीबी उन्मूलन की दिशा में प्रयास किये जा रहे हैं। अब जिला तथा राज्य शासन ‘‘टीबी मुक्त पंचायत‘‘ पहल के तहत पंचायतों को टीबी मुक्त घोषित करने के लिए प्रयासरत हैं। इस कार्यक्रम का उद्देश्य समुदाय को सशक्त करना है जिससे कि वह टीबी संबंधित परेशानियों की भयावहता और समाधान को पहचाने और उचित संसाधनों का प्रयोग करते हुए टीबी के बढ़ते दबाव को कम कर सकें और सभी मरीजों में पुनरावृत्ति होने से रोकें। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि ग्राम पंचायत स्तर पर टीबी मुक्त घोषित करने के लिए पंचायत विकास योजना में टीबी उन्मूलन कार्यक्रम संबंधित गतिविधियों को शामिल करना तथा समुदाय को टीबी के लक्षणों, जांच एवं उपचार की निशुल्क व्यवस्था, शासन द्वारा टीबी रोगियों तथा ट्रीटमेंट सपोर्टर को दिए जाने वाले लाभों की जानकारी देना है। साथ ही जन आरोग्य समिति, ग्राम स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण समिति की बैठकों में टीबी मुक्त पंचायत घोषित करने की शर्तों, संकेतकों पर प्रगति की समीक्षा एवं कठिनाइयों का समाधान करने का प्रयास करना है। इसके अतिरिक्त समाज के सक्षम लोगों के द्वारा टीबी रोगियों को फूड बास्केट देने के लिए प्रेरित कर निक्षय मित्रों की संख्या में वृद्धि करना है। टीबी मुक्त पंचायत हेतु जिला, ब्लाक तथा ग्राम पंचायत स्तर पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जिला क्षय अधिकारी डॉ. जील.एस. जात्रा ने बताया कि पंचायतों को टी.बी.मुक्त घोषित करने के लिए टारगेट निर्धारित है। प्रत्येक एक हजार की जनसंख्या में 30 संभावित टीबी रोगियों की खखार जांच होना चाहिए तथा टीबी मरीजों की संख्या एक या एक से कम होना चाहिए। यदि टीबी के धनात्मक केस मिलते हैं तो उन्हें डॅाट्स की प्रापर ट्रीटमेंट किया जा ना है तथा समाज के सक्षम लोगों को निक्षय मित्र बनाकर उनसे जोड़ना है जो उन मरीजों का फूड सप्लिमेंट दे सके। टीबी मुक्त पंचायतों के लिए भेजे गए दावों का सत्यापन जिला स्तरीय टीम द्वारा संकेतकों के आधार परा किया जायेगा। जिले की टीम द्वारा साल के प्रथम तिमाही में सत्यापन की प्रक्रिया शुरू कर मार्च के प्रथम सप्ताह तक पूरा कर लिया जायेगा तथा विश्व टीबी दिवस 24 मार्च को जिला पदाधिकारी द्वारा योग्य ग्राम पंचायतों को एक वर्ष की वैद्यता के साथ टीबी मुक्त पंचायत पुरस्कार दिया जायेगा। कलेक्टर श्री सौरभ कुमार तथा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एस.एन.केशरी ने संबंधित अधिकारी एवं कर्मचारियों को निर्देशित किया है कि वे पंचायत को टीबी मुक्त बनाने के लिए ज्यादा से ज्यादा शंकास्पद मरीजों की खोज कर उनके बलगम की जांच करावें। टीबी के मरीजों को उपचार प्रदान करायें। टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत पंचायतों को टीबी मुक्त बनाने हेतु इसकी कारगर रणनीति बनाएं। पंचायत स्तर पर मितानिन, स्वास्थ्य कार्यकता, आरएचओ, आंगनबाड़ी कार्यकता, प्रायवेट पै्रक्टिशनर, स्वसहायता समूहों, पंचायत सदस्यों तथा गणमान्य नागरिकों के सहयोग से जन जागरूकता अभियान चलायें जिससे टीबी मुक्त भारत का संकल्प पूरा हो सके तथा जिले के लोगों से अपील किए हैं कि जिन्हें दो सप्ताह से ज्यादा खांसी हो, शाम को चढ़ने वाला बुखार हो, खाुसी में खून आता हो, छाती में दर्द होता हो, भूख कम लगती हो, वजन कम हो रहा हो त्था सांस फूलता हो वे अपने बलगम की जांच मितानिन, स्वास्थ्य कार्यकर्ता के माध्यम से या स्वास्थ्य केन्द्र जाकर करायें तथा रिपोर्ट पॉजिटिव होने पर इलाज प्राप्त कर स्वस्थ्य होवें तथा टीबी मुक्त भारत बनाने में सहयोग प्रदान करें।

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