तेंदूपत्ता संग्रहण की राशि बनी खुशहाली की उम्मीद
कोरबा। इस औद्योगिक जिले के वनांचल में रहने वाले ग्रामीण तेंदूपत्ता को हरा सोना मानते हैं। गर्मी के दिनों में जब उनके पास न तो खेतों में काम होता है और न ही घर में कुछ काम, तब इसी तेंदूपत्ता यानी हरा सोना का संग्रहण उन्हें मेहनत एवं संग्रहण के आधार पर पारिश्रमिक देता है। वनांचल में रहने वाले ग्रामीणों के लिये तेंदूपत्ता के प्रति मानक बोरा की दर में हुई वृद्धि ने खुशियां जगा दी है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा तेंदूपत्ता प्रति मानक बोरा राशि 4000 रुपए किए जाने के बाद संग्राहकों में खुशियां है। वे बहुत ही उत्साह के साथ तेंदूपत्ता संग्रहण का कार्य कर रहीं हैं।
कोरबा विकासखंड के ग्राम कोरकोमा की सुखमिन बाई और कला कुंवर, वृंदा बाई तेंदूपत्ता संग्रहण कर उसे समिति में बेचने का कार्य वर्षों से कर रही है। एक सीजन में तीन से पांच हजार रूपए तक कमाई करने वाली इन संग्राहिकाओं का कहना है कि वे सुबह से शाम तक पत्ते तोड़कर उसे बण्डल बनाती हैं, फिर फड़ में ले जाकर बेच आती हैं। उनका अधिकांश समय वन में ही गुजरता है। मुख्यमंत्री द्वारा 2500 रूपये प्रति बोरा राशि की दर को 4000 रूपए किए जाने पर खुशी जताते हुए सुखमिन बाई ने इससे उसके जैसे संग्राहकों को लाभ पहुंचने की बात कही।
ग्राम कोरकोमा की की रहने वाली बिसाहीन बाई, गीता बाई, सुखो बाई, ननकी बाई का कहना है कि वह कई साल से तेंदूपत्ता तोड़ने का कार्य कर रही है। संग्राहकों के हित में 2500 की राशि 4000 रूपए प्रति बोरा होने पर गरीब संग्राहकों को इससे फायदा होने की बात कही। कुदमुरा के राजकुमार ने बताया कि वह मजदूरी के साथ-साथ तेंदूपत्ता संग्रहण का काम कई वर्षों से करता आ रहा है। गांव में तेंदूपत्ता संग्रहण से गर्मी के दिनों में कुछ कमाई हो जाती है। एक-एक पत्तों को तोड़कर बण्डल बनाने में मेहनत लगता है। शासन ने संग्राहकों के परिश्रम का महत्व को समझते हुए राशि बढ़ाई है जो सराहनीय है।
ग्रामीणों ने बताया कि मुख्यमंत्री द्वारा तेंदूपत्ता संग्राहकों के लिए प्रति मानक बोरा दर 25 सौ से बढ़ाकर चार हजार रूपये किए जाने से संग्राहकों को राहत मिल रही है। संग्राहक सुखो बाई ने बताया कि गांव के पास ही पहाड़ है। आसपास के क्षेत्र में तेंदूपत्ता संग्रहण आसानी से हो जाता है। उन्होंने यह भी बताया कि गर्मी के दिनों में कई घरों में शादी विवाह होता है। ग्रामीणों के पास अतिरिक्त आमदनी का जरिया नही होता, ऐसे में तेंदूपत्ता संग्रहण से बहुत सहूलियत होती है। तेंदूपत्ता संग्रहण कार्य से अतिरिक्त राशि की प्राप्ति होती है, जिससे उन्हें आर्थिक लाभ पहुंचता है। इस प्रकार तेंदूपत्ता संग्राहकों के लिये प्रति मानक बोरा दर में वृद्धि से जिले के वनांचल में रहने वाले सभी तेंदूपत्ता संग्राहकों को हर्ष की अनुभूति हुई है।
कोरबा जिले में 82 समितियों से होता है तेंदूपत्ता का संग्रहण-
कोरबा जिले में तेंदूपत्ता संग्रहण का कार्य अप्रैल-मई से प्रारंभ हो जाता है। जिले में 82 प्राथमिक वनोपज सहकारी समितियों के जरिये इसका संग्रहण किया जाता है। इनमें कोरबा वनमण्डल में 38 एवं वनमण्डल कटघोरा वनमण्डल के 44 समितियां शामिल हैं। कोरबा वनमण्डल के अंतर्गत वर्ष 2023 में लगभग 43 हजार 822 मानक बोरा तेंदूपत्ता संग्रहित कर 17 करोड़ 52 लाख 89 हजार रूपये का भुगतान किया गया। यहां 34 हजार 590 तेंदूपत्ता संग्राहक हैं। कटघोरा वन मंडल में इस वर्ष में 58 हजार 688 मानक बोरा तेंदूपत्ता संग्रहित किया गया। इस तरह जिले में एक लाख 13 हजार 560 मानक बोरा तेंदूपत्ता का संग्रहण किया गया।