कोरबा।  कोरबा के शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय साडा में महापौर श्री राजकिशोर प्रसाद द्वारा विद्यालय के बच्चों को कृमिनाशक दवा एलबेंडाजोल खिलाकर जिला स्तरीय राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस का शुभारंभ किया। उन्होंने छात्र-छात्राओं को दवाई खाने से होने वाले लाभ के बारे में बताते हुए कहा कि इस दवाई को खाने से व्यक्ति के पेट में होने वाले हानिकारक कृमि नष्ट हो जाते है तथा कृमि मुक्त होने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है। महापौर श्री राजकिशोर प्रसाद, कलेक्टर श्री सौरभ कुमार एवं सीएमएचओ डॉ. केशरी ने जिले के सभी जनप्रतिनिधियों, अधिकारी- कर्मचारियों तथा पात्र लाभार्थियों के पालको से अपील करते हुए कहा कि कृमिनाशक दवा खाने से वंचित रह गए बच्चों को मॉपअप दिवस 17 अगस्त को एलबेंडाजोल की दवा अनिवार्य रूप से खिलाएं। साथ ही अपने आस-पास के लोगों में इस सम्बंध में जागरूकता लाने में अपनी महती भूमिका का निर्वहन करें। कार्यक्रम की पूर्ण सफलता हेतु अपना योगदान दे। आपका प्रयास बच्चों में होने वाली कृमि को नियंत्रित कर सकता है।
जिला स्तरीय राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस कार्यक्रम में जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. सी. के. सिंह,  चिकित्सा अधिकारी, डॉ. दीपक राज, जिला कार्यक्रम प्रबंधक डॉ.अशरफ अंसारी, सहित स्वास्थ्य विभाग के अन्य अधिकारी कर्मचारी व विद्यालय के प्राचार्य  शिक्षक व स्टाफ उपस्थित थे। बीएमओ डॉ. दीपक राज ने कार्यक्रम में कृमिनाशक दवाई के खुराक के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि 1 से 2 वर्ष तक के बच्चों को आधी गोली चूरा या पीसकर पानी के साथ मिलाकर चम्मच से पिलाया जाना है। इसी प्रकार  2 वर्ष से 3 वर्ष तक के बच्चों को पूरी एक गोली चूरा पीसकर पानी के साथ सेवन कराया जाना है तथा 03 वर्ष से 19 वर्ष तक के बच्चों को पूरी एक गोली चबाकर पानी के साथ खिलाया जाएगा।
गौरतलब है कि 10 अगस्त 2023 को जिले के समस्त ऑगनबाडी केन्द्रों एवं शासकीय विद्यालयों, शासकीय अनुदानप्राप्त शालाओं, केन्द्रीय विद्यालयों, नवोदय विद्यालयों, मदरसों, निजी स्कूलों, अनुदान प्राप्त निजी स्कूलों, महाविद्यालयों एवं तकनीकि शिक्षा संस्थानों के माध्यम से 01 से 19 वर्ष के बच्चों, किशोर- किशोरियों को कृमिनाशक दवा एलबेंडाजोल खिलाई गई। साथ ही कृमि नाशक दवाई खाने से छूटे बच्चों को 17 अगस्त 2023 को मॉप अप दिवस पर दवा का सेवन कराया जाएगा। जिससे बच्चों का स्वास्थ्य एवं पोषण का स्तर में वृद्धि के साथ ही उनका बौद्विक विकास व एनिमिया की रोकथाम हो सके।

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