रायपुर (सेंट्रल छत्तीसगढ़) साकेत वर्मा : शारदीय नवरात्र का आज छठवां दिन है. आज के दिन मां दुर्गा की छठी विभूति मां कात्यायनी की पूजा की जाती है. शास्त्रों के अनुसार कात्यायन ऋषि के तप से प्रसन्न होकर मां आदिशाक्ति ऋषि कात्यायन की पुत्री के रूप में अवतरित हुईं थीं. ऋषि कात्यायन की पुत्री होने के कारण माता कात्यायनी कहलाती हैं. शास्त्रों के मुताबिक, जो मां कात्यायनी की आराधना करते हैं, उन पर मां की कृपा सदैव बनी रहती है. कात्यायनी माता का व्रत और उनकी पूजा करने से कुंवारी कन्याओं के विवाह में आने वाली बाधा दूर होती है.

ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि महिषासुर से युद्ध करते हुए मां जब थक गई थीं, तब उन्होंने शहद युक्त पान खाया था. शहद युक्त पान खाने से मां कात्यायनी की थकान दूर हो गई, जिससे उन्होंने महिषासुर का वध किया.

मां कात्‍यायनी का रूप

मां कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत चमकीला और भव्य है. इनकी चार भुजाएं हैं. मां कात्यायनी के दाहिनी तरफ का ऊपर वाला हाथ अभय मुद्रा और नीचे वाला वरमुद्रा में है. बाईं तरफ के ऊपरवाले हाथ में तलवार और नीचे वाले हाथ में कमल-पुष्प सुशोभित है. मां कात्‍यायनी सिंह की सवारी करती हैं.

मां की पूजा करने से सभी बाधाएं दूर होती हैं

कात्यायनी की साधना और भक्ति करने वालों को मां की प्रसन्नता के लिए शहद युक्त पान अर्पित करना चाहिए या फिर शहद का अलग से भोग भी लगा सकते हैं. मां कात्यायनी की साधना का समय गोधूली काल है. इस समय में धूप, दीप से मां की पूजा करने से सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं. जो भक्त माता को 5 तरह की मिठाईयों का भोग लगाकर कुंवारी कन्याओं में प्रसाद बांटते हैं, माता उनकी आय में आने वाली बाधा को दूर करती हैं.

वैवाहिक जीवन में खुशियां होती हैं प्राप्त

ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि कुंवारी कन्याओं को प्रसाद बांटने से अपनी मेहनत और योग्यता के अनुसार व्यक्ति धन अर्जित करने में सफल होता है. मां शक्ति के नवदुर्गा स्वरूपों में मां कात्यायनी देवी को छठा रूप माना गया है. मां कात्यायनी देवी के आशीर्वाद से विवाह के योग बनते हैं. साथ ही वैवाहिक जीवन में भी खुशियां प्राप्त होती हैं.

कात्यायनी पूजन सामग्री और मंत्र

नारियल, कलश, गंगाजल, कलावा, रोली, चावल, चुन्‍नी, शहद, अगरबत्ती, धूप, दीया और घी के साथ ही मां कात्यायनी को प्रसन्न करने के लिए 3 से 4 पुष्प लेकर इस मंत्र का जाप 108 बार करना चाहिए, उसके बाद उन्हें पुष्प अर्पित करना चाहिए.

। चंद्र हासोज्ज वलकरा शार्दू लवर वाहना ।
।। कात्यायनी शुभं दघा देवी दानव घातिनि ।।

कैसे करें मां कात्यायनी की पूजा

  • सुबह नहाने के पानी में थोड़ा गंगाजल डालकर स्नान करें और फिर मां कात्यायनी का मन में ध्यान करते रहें.
  • उसके बाद नारियल को कलश पर रखें, फिर उस पर चुन्‍नी व कलावा लगाएं और पूजा करें.
  • फिर मां कात्यानी को रोली, हल्दी और चावल का तिलक करें.
  • तिलक लगाने के बाद मां कात्यानी के सामने घी का दीया जलाएं.
  • मां कात्यायनी को शहद अत्यंत प्रिय होता है, इसलिए उन्हें शहद का भोग लगाना चाहिए.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *