कोरबा (सेंट्रल छत्तीसगढ़) पाली :- कटघोरा वनमंडल अंतर्गत पाली परिक्षेत्र के अंतिम सीमा तथा पोलमी एवं बतरा बीट में समाहित व ग्राम कटेलीपारा के समीप उमरिया जाने वाले कच्चे मार्ग के किनारे स्थित घने जंगल को कुछ अतिक्रमणकारियों द्वारा उजाड़ कर वनभूमि पर कब्जा का प्रयास किया जा रहा है।जहाँ वन अधिकार पत्र पाने की लालच में घने हरियाली से आच्छादित जंगल से सागौन, साल, चार, तेंदू, महुआ के छोटे- बड़े सैकड़ों पेड़ों को बेदर्दी से काटकर हरे- भरे जंगल का उजाड़ कार्य निरंतर जारी है।ग्रामीणों द्वारा जंगल बचाए जाने को लेकर वनविभाग से मांगी गई मदद को भी इस परिक्षेत्र के अधिकारी- कर्मचारियों ने अनसुना कर दिया लिहाजा जिस स्थान पर जंगल उजाड़ का कार्य चल रहा है वहाँ पहुँचते ही वन की हालत देख कोई भी विभाग की लापरवाही को नकार नही सकता।वर्तमान में जिस जंगल से हरे- भरे पेड़ों को काटा जा रहा है वह ग्रामीणों के लिए बहुउपयोगी साबित होता चला आ रहा है साथ ही ग्रामीण उस जंगल के लिए जी जान भी लगाते आ रहे है।लेकिन ग्रामीणों को वनोपज के साथ- साथ वनविभाग को भी राजस्व देने वाले उक्त जंगल का पट्टे की लालच में तेजी से किया जा रहा सफाया उन ग्रामीणों के लिए चिंता का विषय बनकर रह गया है।क्योंकि वर्तमान हालात विपरीत है और इसके पीछे मुख्य एक कारण वन अधिकार पत्र है।दूसरी ओर जंगल बचाने वनविभाग से ग्रामीणों द्वारा लगाए गए गुहार को भी विभागीय अमला लगातार अनसुना करते आ रहा है।शासन द्वारा जिस उद्देश्य से वनविभाग का गठन किया गया है उन कर्तव्यों के पालन से विभाग लगातार विमुख होता जा रहा है।वन अमले का मुख्य कार्य जंगलों के संवर्धन के साथ उसकी सुरक्षा व इसे समाप्त करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने का दायित्व है लेकिन इस क्षेत्र में ऐसा कुछ भी नजर नही आ रहा है।जिससे जंगल की सुरक्षा दिन ब दिन चौपट होती जा रही है।कटेली पारा के समीप जंगल में अतिक्रमणकारियों द्वारा किस प्रकार तबाही मचाया जा रहा है इसका अंदाजा मौके पर जाकर लगाया जा सकता है जहाँ जगह- जगह गिरे पड़े पेड़ व चार, साल, तेंदू, महुआ, सागौन के पेड़ तथा अनगिनत ठूंठ वन विनाश को बयां कर रही है।भूपेश सरकार द्वारा वन अधिकार की जो योजना वर्तमान में चलाई जा रही है वह काफी हितकारक है।किंतु लोग वन अधिकार पत्र पाने की लालच में जंगल का जो विनाश करने में तुले है वह हितकारक नही है।अगर जंगल उजाड़ का कार्य बंद नही हुआ तो आने वाले दिनों में प्राकृतिक जंगल जमीन देखने को नही मिलेगा व पर्यावरण भी असंतुलित हो जाएगी।साथ ही वन्यप्राणी गाँव व शहर की ओर रुख करेंगे।जिसका खामियाजा लोगों को ही भुगतना पड़ेगा।फिलहाल ग्राम कटेलीपारा के ग्रामीणों ने जंगल की कटाई रोक और वन बचाने की फरियाद लगाई है।

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