कोरबा। शासन की योजनाओं ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए आदमनी बढ़ाने के नए द्वार खोल दिए है। मछली पालन के माध्यम से किसानों को भरपूर आमदनी होने की संभावनाओं को देखते हुए मछली पालन को कृषि का दर्जा दिया गया है। इस व्यवसाय से जुड़े किसानों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो रही है। 
जिले के पोड़ी-उपरोड़ा विकासखण्ड के ग्राम परला के रहने वाले हितग्राही रामेश्वर सिंह उदय का तालाब में मछलीपालन आजीविका का मुख्य जरिया बना है। हितग्राही ने अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाने के लिए मछली पालन में संभावनाएं तलाशी और उम्मीद के मुताबिक सफलता भी हासिल कर रहे हैं। हितग्राही ने बताया कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना अंतर्गत वर्ष 2020-21 में अपने लगभग 1 एकड़ के निजी भूमि पर तालाब  का निर्माण करवाया। इसके लिए उन्हें विभाग द्वारा 1 लाख 68 हजार का अनुदान प्राप्त हुआ। हितग्राही रामेश्वर ने बताया कि मछली पालन से जुडऩे से पूर्व वे किसानी और मजदूरी करके वे अपने परिवार का भरण-पोषण करते थे। खेतों में सिंचाई का साधन नहीं होने के कारण वे खरीफ फसल के बाद अन्य फसल नही ले पाते थे। साथ ही सीमित आमदनी होने से परिवार का जीवन-यापन करना बहुत ही कठिन हो रहा था। रामेश्वर बताते है उनके द्वारा पिछले दो वर्षों से कृषि के साथ साथ अब मछली पालन का कार्य भी किया जा रहा है। उन्हें मछली पालन के लिए मत्स्य पालन विभाग विभाग द्वारा मछली बीज, जाल,  बीज, चारा, दवाई, फीश माउण्ट जैसे अन्य आवश्यक सामग्री प्रदान किया। साथ ही समय समय पर आवश्यक प्रशिक्षण भी प्रदान किया गया। उन्होंने विगत वर्ष में 900 किलो एवं अब तक 1300 किलोग्राम मत्स्य का विक्रय कर चुके है जिससे उन्हें 1 लाख 20 हजार से अधिक की शुद्ध आमदनी हुई है। वर्तमान में भी उनके तालाब में मछलियां संवृद्ध हो रही है।  मछली पालन से आर्थिक समृद्धि की ओर कदम बढ़ाकर यह किसान परिवार अपनी दैनिक जरूरतों के साथ ही अन्य भौतिक सुविधाओं के सपने को भी पूरा कर रहे है। रामेश्वर ने बताया कि उनके द्वारा मत्स्य पालन व धान विक्रय से प्राप्त होने वाली राशि को पारिवारिक कार्यो में व्यय करने के अतिरिक्त बचत भी प्राथमिकता से किया गया। जिससे उन्होंने अपने अधूरे मकान निर्माण के कार्य को पूर्ण किया है। अब उनके सपनों का आशियाना बनकर तैयार हो गया है। जहां वे अपने परिवार के साथ आराम से जीवन व्यतीत कर रहे है। 

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