कोरबा। जिले में गर्मी की दस्तक के साथ ही बिजली की डिमांड बढ़ने लगी है। राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी के मड़वा संयंत्र की एक इकाई बंद होने से अफसरों की चिंता बढ़ गई है। बिजली की डिमांड पूरा करने सेंट्रल सेक्टर से ज्यादा बिजली लेनी पड़ रही है।
राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी की मड़वा की 500 मेगावाट की एक इकाई उत्पादन से बाहर है। कंपनी की तीन थर्मल पॉवर प्लांट में कुल 9 इकाइयां लगी हुई है। मड़वा पॉवर प्लांट में 500 मेगावाट की दो इकाइयों में से दूसरे नंबर की यूनिट बिजली उत्पादन से बाहर हो गई है। इसकी वजह से सेंट्रल सेक्टर पर निर्भरता बढऩे के साथ ही पिकअवर में ओवरड्राल की स्थिति भी बन रही है। सेंट्रल सेक्टर से 2400 मेगावाट के करीब बिजली लेनी पड़ रही है। जबकि मड़वा प्लांट की एक यूनिट बंद होने के बाद से कंपनी के संयंत्रों की उत्पादन 2 हजार मेगावाट के करीब है। शाम 4.30 से 6 बजे के बीच ओवरड्राल की स्थिति पुन: बनी तो हाइडल प्लांट की दो यूनिट से करीब 80 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया गया। पिछले दो-तीन दिनों से मौसम में आए बदलाव से प्रदेश में बिजली की डिमांड में कमी आई है। अधिकतम 4800 मेगावाट के करीब बिजली की डिमांड बनी रही। लेकिन दोपहर 12.10 बजे बिजली की डिमांड 5 हजार मेगावाट को पार कर गई। जबकि उपलब्धता 4924 मेगावाट थी। इस स्थिति में अधिकतम 135 मेगावाट तक बिजली ओवरड्राल करके लेनी पड़ी। हालांकि इसके बाद डिमांड में कमी आने से अंडरड्राल की स्थिति बनी रही। आगे गर्मी बढऩे पर बिजली की डिमांड भी बढ़ेगी। पिछले साल के अधिकतम 5300 मेगावाट प्रदेश में बिजली की डिमांड थी। इस बार जो रिकॉर्ड टूट गए हैं। ऐसे में आगामी चार महीने के बिजली की मांग के पीक सीजन के दौर में राज्य पॉवर कंपनी के समक्ष प्रदेश में मांग के अनुरूप आपूर्ति की चुनौती रहेगी।

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