कोरबा। ऊर्जाधानी भू-विस्थापित किसान कल्याण समिति ने कोयला खदान के प्रभावित भूविस्थापितों के लिए कोटा में दिए जाने वाले ठेका कार्य के लिमिट को 1 करोड़ से 20 करोड़ तक बढ़ाने की मांग की है।
संगठन के अध्यक्ष सपुरन कुलदीप ने बताया कि कोल इंडिया पालिसी 2012 लागू होने के बाद छोटे खातेदारों को रोजगार से वंचित कर दिया गया जिसके कारण विस्थापित परिवारों में बेरोजगारी की विकराल समस्या आ गयी है। इसे देखते हुए सन्गठन ने आउट सोर्सिंग कंपनियों में भूविस्थापित बेरोजगारों को प्राथमिकता के साथ ही कोल ट्रंसपोर्टेशन ,सिविल, मेकेनिकल सहित सम्पूर्ण ठेका कार्यों में 20 प्रतिशत कोटा की मांग को लेकर लम्बा संघर्ष किया। 2021 में 5 लाख तक के ठेका कार्यों में एक वित्तीय वर्ष में क्षेत्र में 1 करोड़ रुपये का कोटा दिया गया किन्तु इस कार्य मे भी एसईसीएल के स्थानीय प्रबन्धन उदासीन बनी हुई है और खुला टेंडर में कम्पीटिशन होने के कारण भूविस्थापित भाग नहीं ले पाते। निर्धारित दर से आधे से भी कम में ठेका लेने वाले निर्माण कार्यो में भारी धांधली करते हैं।
उन्होंने बताया कि कोटा में वर्तमान में एक वित्तीय वर्ष में एक फर्म को 20 लाख तक का कार्य दिया जाता है एवं पूरे कोटा में एक करोड़ तक लिमिट तय किया गया है कोल इंडिया आर एंड आर पॉलिसी 2012 के प्रावधानों के तहत गेवरा प्रोजेक्ट के 7 ग्राम पोड़ी, अमगाँव, बाहनपाठ, भठोरा, भिलाई बाज़ार, रलिया, नराईबोध में लगभग 5500 खातेदार हैं जिसमे से केवल 1100 खातेदारों को स्थाई खातेदार दिया जा रहा है। इसी प्रकार दीपका ,कुसमुंडा परियोजना में भी रोजगार से वंचित होने वाले खातेदारों की संख्या बहुत ज्यादा अधिक है जिसे देखते हुए इस लिमिट को 1 करोड़ से बढ़ाकर 20 करोड़ किया जाए एवं एक फर्म के लिए निर्धारित 20 लाख के लिमिट को बढ़ाकर 1 करोड़ किया जाए। वर्तमान निर्धारित कोटा के तहत वित्तीय वर्ष 2022-23 के तहत अभी तक एक एरिया मे लगभग 30 से 40 लाख तक ही ठेका कार्य जारी किया गया है, पूर्व में जारी गाईड लाइन के तहत तत्काल 1 करोड़ लिमिट तक के टेंडर जारी किया जाए, प्रबंधन के उदासीन रवैया के कारण भू-विस्थापित में आक्रोश व्याप्त होते जा रहा है आने वाला समय में उग्र आन्दोलन करने के लिए हम मजबूर होंगे।