0 शहर के नामचीन साहित्यकारों, लेखक एवं कवियों के साथ-साथ बालको कर्मचारियों ने भाग लिया


कोरबा-बालकोनगर। वेदांता समूह की कंपनी भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) ने हिंदी दिवस के अवसर पर ‘स्वर’ काव्य गोष्ठी कार्यक्रम का आयोजन किया। हिंदी पखवाड़ा भाषा और हिंदी साहित्य के समृद्ध दुनिया के बारे में बताता है। ‘स्वर’ संध्या में शहर के नामचीन साहित्यकारों, लेखक एवं कवियों के साथ-साथ बालको कर्मचारियों ने कार्यक्रम में हिस्सा लिया। कार्यक्रम की शुरूआत दीप प्रज्जवलन तथा सरस्वती वंदना के साथ की गई जिसके बाद अतिथियों ने मेधावी विद्यार्थियों और कवियों को सराहा तथा सम्मानित किया।

‘हिंदी के आधुनिकीकरण में उद्योगों की भूमिका’ विषय पर केंद्रित इस कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ राज्य के प्रतिष्ठित हिंदी लेखक डॉ. गिरीश पंकज, डॉ. परदेशी राम वर्मा और डॉ. माणिक विश्वकर्मा ने ज्ञानवर्धक व्याख्यान दिया। प्रतिष्ठित साहित्यकारों ने ‘हिंदी के आधुनिकीकरण में उद्योगों की भूमिका’ विषय पर व्याख्यान देते हुए, हिंदी के महत्व, संरक्षण, विकास और संजोये रखने की अनिवार्य आवश्यकता पर गहन चर्चा की। कार्यक्रम का आयोजन छत्तीसगढ़ सरस्वती साहित्य समिति एवं मुकुटधर पाण्डेय साहित्य भवन समिति, कोरबा के सहयोग से किया गया।

वरिष्ठ हिंदी साहित्यकार और कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. गिरीश पंकज ने हिंदी के सर्वोपरि महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि जैसे-जैसे हिंदी ने वैश्विक पहचान बनाई है इसका सांस्कृतिक महत्व दुनिया भर में गूंज रहा है। हालाँकि हमें अपने राष्ट्र के भीतर इसके संरक्षण को भी प्राथमिकता देनी चाहिए। हिंदी हमारे इतिहास, मूल्यों और परंपराओं का प्रतिनिधित्व करती है। मातृभाषा से हम अपनी जड़ों से जुड़ते हैं और भावी पीढिय़ों के लिए अपनी विरासत की जीवंतता सुनिश्चित करते हैं। मैं हिंदी को बढ़ावा देने के सराहनीय प्रयासों और इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए बालको को हार्दिक बधाई देता हूं।

हिंदी भाषा को जनमानस तक पहुंचाने की बात करते हुए डॉ. परदेशी राम वर्मा ने कहा कि हिंदी सिर्फ एक भाषा नहीं है अपितु यह हमारी भावनाओं का धडक़ता हुआ दिल है जो हमारे जीवन को अभिव्यक्त करने की आवाज है। हिंदी हमारी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए शब्दों से परे है जो हमें एकता के एक धागें में बांधती तथा हमारी सांस्कृतिक विरासत को समृद्ध करती है। आइए हम हिंदी को संजोएं क्योंकि इसके जुड़ाव में हम अपने भाषाई अस्तित्व का सार पाते हैं।
हिंदी के विकास पर बात करते हुए डॉ. माणिक विश्वकर्मा ने कहा कि हिंदी ने अपनी विकास यात्रा में विभिन्न भाषाई स्रोतों से तकनीकी शब्दावली को सहजता से एकीकृत किया है। शब्दकोश बढ़ाने का यह भाषाई गुण तेजी से औद्योगीकृत दुनिया की जरूरतों से प्रेरित है जिसने औद्योगिक परिदृश्य में हिंदी को एक महत्वपूर्ण भूमिका तक पहुंचाया। वैश्वीकरण के इस युग में हिंदी एक पुल के रूप में खड़ी है जो परंपरा और प्रगति को जोड़ती है तथा यह सुनिश्चित करती है कि हमारी समृद्ध भाषाई विरासत औद्योगिक विकास में सबसे आगे रहे।
बालको के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं निदेशक राजेश कुमार ने कहा कि बालको सामंजस्यपूर्ण समाज की साहित्यिक नींव को आकार देने में भाषा की भूमिका को स्वीकार करता है। इस आयोजन के माध्यम से हम भाषाओं और साहित्यिक विचारकों का सामंजस्य बनाना चाहते हैं जिससे भाषा के महत्व को बढ़ावा मिलता है। हिंदी को बढ़ावा देने की हमारी प्रतिबद्धता शब्दों से परे है यह हमारी संस्कृति की समृद्ध विरासत को संजोये रखने का प्रयास है जो एक बेहतर और समावेशी समाज की ओर सराहनीय कदम है। बालको स्वर काव्य गोष्ठी में लगभग 50 प्रतिभागियों ने अपनी कविताएँ प्रस्तुत कीं। कार्यक्रम में लगभग 200 श्रोताओं ने हिंदी साहित्य को बढ़ावा देने एकत्रि हुए। कार्यक्रम के दौरान भाग लेने वाले कर्मचारियों और साहित्यकारों ने अपनी साहित्यिक प्रतिभा का प्रदर्शन किया। कवियों ने मनमोहक कविता से श्रोताओं पर अमिट छाप छोड़ी। बालकोनगर और उसके समीप स्कूलों के 10वीं एवं 12वीं के 19 प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को हिंदी भाषा में उत्कृष्टता प्रदर्शित करने के लिए सम्मानित किया गया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *