बलरामपुर (सेंट्रल छत्तीसगढ़) : केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री आवास योजना बलरामपुर में दम तोड़ती नजर आ रही है. जिले के ग्राम पंचायत खटवाबरदर में ग्रामीण के आवास निर्माण के लिए सरकार ने पैसे तो भेज दिए, लेकिन यहां ठेकेदारों ने फर्जीवाड़ा कर दस्तावेजों में घरों का निर्माण होना दिखाया और असल में घर का निर्माण अधूरा छोड़कर पैसे लेकर भाग निकले. परेशान ग्रामीणों का आरोप है कि पंचायत प्रतिनिधियों और कर्मचारियों की लापरवाही की वजह से आज उनके घर का निर्माण अधूरा है.
दरअसल साल 2016-17 में ग्राम पंचायत के करीब 6 ग्रामीणों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास बनाने की स्वीकृति मिली थी. जानकारी के मुताबिक सरपंच सचिव ने आवास निर्माण का काम ठेकेदार को सौंपा, लेकिन ठेकेदार ने अपनी मनमानी से घर बनाए बिना ही खाते में निर्माण के लिए आई राशि को निकाल लिया और सिर्फ कागजों में घरों के निर्माण को पूरा बता दिया. अधूरे घर निर्माण की वजह से इन ग्रामीणों को अब कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
ठेकेदारों ने किया फर्जीवाड़ा !
ग्रामीणों ने इसकी शिकायत कलेक्टर और जिला पंचायत CEO को की. ग्रामीणों की शिकायत के बाद अधिकारियों ने इस मामले में जांच के निर्देश दिए. जांच टीम जब गांव पहुंची, तो वह भी हैरान रह गए. जांच करने पहुंचे अधिकारियों ने देखा की दस्तावेज में घरों का निर्माण पूरा दर्शाया गया है. कागज के मुताबिक घर निर्माण के लिए पूरे पैसे निकाल लिए गए. मौके पर जब अधिकारियों ने ग्रामीणों का घर देखा, तो घर अधूरे थे. कोई घर प्लिंथ लेवल तक बना हुआ है, तो कुछ डोर लेवल तक. अधूरा बना हुआ घर कई जगहों से टूटने भी लगा है. ग्रामीणों को घरों की स्वीकृति मिलने के बाद भी वे टूटे मकान में रहने को मजबूर हैं.
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बने आवासों की हालत देखकर अधिकारियों ने गांव में पंचायत लगाई और सभी हितग्राहियों के बयान दर्ज किए. अधिकारियों ने ठेकेदारों को जमकर फटकार भी लगाई. जांच में ये भी पाया गया कि ठेकेदारों ने मस्टररोल में 84 दिन की मजदूरी भी भर दी है और उसे कंपलीट कर लिया है. जबकि मजदूरों को एक रुपए भी नहीं दिया गया है. ग्रामीण अब इस मामले में कार्रवाई करने की मांग कर रहे हैं.
गांव में जांच के लिए पहुंचे जिला पंचायत के APO ने बताया कि इस मामले में बारीकी से जांच की जा रही है, दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. बहरहाल ये देखने वाली बात होगी की पीड़ित ग्रामीणों को कब तक उनका घर बनकर मिल जाएगा और कब उनके पक्के मकान में रहने का सपना पूरा होगा.