कोरबा। राजस्व विभाग शासन का सबसे महत्वपूर्ण विभाग होने के साथ इसका कार्य सीधे सीधे आम जनता से जुड़ा होता है। परंतु पिछले कुछ सालों से राजस्व विभाग में कुछ ठीक नहीं चल रहा है। भू राजस्व संहिता में अजीबो गरीब संशोधन कर जनता की तकलीफ काम करने की बजाय बढ़ा दी गई है। इसके अलावा शासन का रवैया राजस्व विभाग के कर्मचारियों व अधिकरियो के प्रति असंवेदनशील ही रहा । पटवारी संघ पिछले 1 माह से हड़ताल में हैं जिससे आम जनता के महत्वपूर्ण कार्य जैसे आय, जाति, निवास के साथ नामांतरण, बंटवारा आदि कार्य अटके पड़े हैं। परंतु शासन ने इनकी मांग पर विचार करने से बेहतर एस्मा लगाना उचित समझा। राजस्व निरीक्षक संघ की मांगों को भी लंबे से उपेक्षित किया जा रहा है । अब राजस्व विभाग की रीढ़ की हड्डी माने जाने वाले भू अभिलेख शाखा के अधीक्षक और सहायक अधीक्षक भी विरोध प्रदर्शन की राह में बढ़ रहें हैं। ज्ञात हो कि इस पद की व्याख्या भू राजस्व संहिता में कलेक्टर के सलाहकार के रूप में की गई है साथ ही पटवारी और राजस्व निरीक्षक भू अभिलेख शाखा के ही कर्मचारी होते हैं। विगत 5 वर्षों से तहसीलदार और अधीक्षक भू अभिलेख का संवर्ग एक करने की मांग की जा रही है। राजस्व विभाग द्वारा इस संबंध में सभी जिला कलेक्टरों से अभिमत मांग की गई थी इस प्रस्ताव के पक्ष में 28 जिलों के कलेक्टर 4 संभाग आयुक्तों ने अभिमत दिया। विशेष उल्लेखनीय है की द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग द्वारा इन दोनों संवर्गों को एक करने हेतु अनुशंसा भी की गयी है। वर्तमान परिपेक्ष्य में बंदोबस्त का कार्य आधुनिक तकनीक से ड्रोन और सैटेलाइट के माध्यम से एक्सटर्नल एजेंसी के द्वारा किया जा रहा है । पूर्व में अधीक्षक भू अभिलेख को सहायक बदोबस्त अधिकारी की हैसियत से कार्य करते थे परंतु वर्तमान भू राजस्व संहिता में संशोधन कर तहसीलदारों को यह भूमिका दे दी गई है। ऐसे में इस वर्ग के अधिकारियों के पास कोई खास काम रहा नहीं । अतः संवर्ग एक होने से राजस्व विभाग को एक साथ लगभग 100 अनुभव युक्त अधिकारी मिलेंगे जिसका उपयोग शासन अपनी आवश्यकता अनुसार नवीन तहसीलों अथवा भू अभिलेख शाखा में कर सकेगा और शासन को अतिरिक्त वित्तीय प्रयोजन भी नहीं करना होगा क्योंकि दोनों संवर्ग के पद की योग्यता व वेतन समान है । वर्तमान में शासन द्वारा 45 से अधिक नई तहसील की घोषणा की गई है परंतु उसमें कार्य करने वाले तहसीलदार और नायब तहसीलदार कहां से आयेंगे इस बाबत कोई योजना नहीं है। सूत्रों के अनुसार एक विशेष वर्ग के दबाव के कारण शासन यह फैसला लेनें में देरी कर रहा । परंतु उन्हें आम जनता की भलाई के लिए मितव्ययी कदम उठाना चाहिए। ज्ञात रहे की शासन के द्वारा परिवीक्षा अवधि 3 वर्ष कर दी गई है। नए नियुक्त होने वाले नायब तहसीलदार औसत 2 वर्ष में विभागीय परीक्षा पास करते हैं तब तक उन्हें कोर्ट का काम नहीं दिया जा सकता। भू अभिलेख अधिकारी संघ द्वारा विरोध प्रदर्शन की कड़ी में एक दिवसीय सामूहिक अवकाश लेकर प्रदर्शन करने का आव्हान किया गया है। संघ का कहना है कि शासन यदि उनकी उचित मांगों पर संवेदना पूर्वक विचार नहीं करता तो वे हड़ताल की राह पर भी जा सकते हैं। अब देखने वाली बात यह रहेगी की प्रशासन की महत्वपूर्ण विभाग राजस्व में विभिन्न वर्गों को संतुष्ट करने के लिए शासन क्या कदम उठाता है।

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