कोरबा। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग कटघोरा उपखण्ड अंतर्गत राष्ट्रीय जल जीवन मिशन के तहत नल-जल योजना के कार्य भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहे हैं। ज्यादातर गांवों में घटिया स्तर की पाईप लाइन डाली जा रही है। पाईप लाइन को गहराई में भी नहीं दबाया जा रहा है, इससे पाईप लाइन जमीन के ऊपर से ही दिखाई दे रही है एवं इसके क्षतिग्रस्त होने की प्रबल संभावना बनी हुई है। नलों के चैम्बर भी गुणवत्ताहीन बताए जा रहे हैं इस कारण पानी सप्लाई शुरू होने से पहले ही यह क्षतिग्रस्त होने भी लगे हैं। पीएचई विभाग के जिम्मेदार अधिकारी-कर्मचारी इस ओर आंखें मूंदे बैठे हैं।
उल्लेखनीय है कि जल जीवन मिशन के कार्य वर्ष 2019 से शुरू हुए हैं एवं शासन की मंशा है कि 2024 तक हर गांव में प्रत्येक घर तक नल से पानी पहुंचाया जाए। इसके लिए केंद्र सरकार द्वारा पीएचई विभाग को करोड़ों का बजट देने के बाद भी कई ठेकेदारों द्वारा गुणवत्ता को ताक पर रखा जा रहा है। कई गांवों में पीतल की बजाय प्लास्टिक के नोजल लगाए जा रहे हैं।  टोंटियां भी घटिया क्वालिटी की हैं, जिसके उदाहरण कटघोरा पीएचई विभाग उपखण्ड अंतर्गत केराकाछार, रंजना, हरनमुड़ी, डूमरकछार, माखनपुर, डोंगानाला, मुनगाडीह, पोटापानी, बक्साही, सैला, कपोट, अलगीडांड सहित अन्य ग्रामों में देखने को मिल रहे हैं। घरों की ओर दिए गए नल कनेक्शनों को भी सीमेंट आवरित किए जाने की बजाय पाइप का टुकड़ा लगाकर औपचारिकताएं पूरी कर दी गई हैं। तस्वीरों में इनकी झलक सहज ही देखी जा सकती है। अनेक ग्रामों में आधा-अधूरा पाइप लाइन बिछाकर कागजों में निर्माण पूर्ण कर लिया गया है किन्तु 2-3 वर्ष बीतने पश्चात भी पानी की सप्लाई शुरू नहीं हो पायी है जिससे ग्रामीण योजना के लाभ से वंचित हंै। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग कटघोरा उपखण्ड की मिलीभगत से कई ठेकेदारों की मनमानी बढ़ी है। 

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