कोरबा। आदिशक्ति मां महिषासुर मर्दिनी देवी मंदिर में प्रशासनिक हस्तक्षेप के बाद नवरात्र पर्व मनाया जा रहा है। मंदिर में नवरात्र की विशेष पूजा आरती-हवन और कलश भवन में मनोकामना दीप प्रज्वलित भी हो रहे हैं, लेकिन यहां गतिरोध अब भी कायम है और विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है।
चैतुरगढ़ में धार्मिक एवं जन कल्याण ट्रस्ट के द्वारा कथित तौर पर प्रशासन द्वारा मनोकामना ज्योति कलश प्रज्वलन की अनुमति नहीं दिए जाने के विरुद्ध हाईकोर्ट मे याचिका दायर करने के बाद आज से मनोकामना दीप प्रज्वलित  किया जा रहा है। ट्रस्ट पदाधिकारियों के अनुसार प्रशासन ने इसके लिए अनुमति नहीं दी है। उन्होंने आरोप लगाया कि तहसीलदार के द्वारा उनसे कलश एवं पूजा आदि को लेकर आय व्यय का ब्यौरा और राशि जमा करने की मांग की गई, तभी कलश प्रज्वलित करने की अनुमति दिए जाने की बात कही गई। ट्रस्ट के अनुसार इसकी उन्होंने लिखित में मांग की, क्योंकि ट्रस्ट के बायलॉज के अनुसार उन्हें ऑडिट आदि में दिक्कत होगी और मामला हाईकोर्ट में भी विचाराधीन है लेकिन तहसीलदार के द्वारा लिखित में पत्र व्यवहार नहीं  किया गया। बिना राशि जमा किए अनुमति देने से इनकार किया गया जिसके कारण 800 से अधिक श्रद्धालुओं के मनोकामना ज्योति कलश ही प्रज्ज्वलित नहीं हो पाए थे। तहसीलदार नरेंद्र कँवर ने बताया कि उनके द्वारा प्रशासनिक समिति की बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार आय-व्यय का ब्यौरा और राशि की जानकारी नियमानुसार मांगी गई थी लेकिन ट्रस्ट द्वारा यह उपलब्ध नहीं कराया गया ,जबकि दूसरी समिति लाफ़ागढ़ धार्मिक धर्मस्व समिति के द्वारा बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार कार्रवाई करते हुए ज्योति कलश प्रज्ज्वलित करने और पूजा की अनुमति दी गई है। माता के दरबार में केवल एक ही समिति के द्वारा पंजीकृत कराए गए भक्तों की मनोकामना ज्योति कलश प्रज्वलित किया गया। हालांकि हाईकोर्ट में निर्णय के बाद अब दोनों ही समिति के मनोकामना ज्योति कलश प्रज्वलित हो गए हैं।
उल्लेखनीय है कि विगत कुछ वर्षों में जहां पहले 5000 तक मनोकामना ज्योति कलश प्रज्वलित होते थे ,अब संख्या बमुश्किल हजार-पाँच सौ में पहुंच गई है। इसके पीछे बेवजह का खींचतान राजनीति और विवाद बताया जा रहा है।

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