कोरबा (सेंट्रल छत्तीसगढ़) हिमांशु डिक्सेना:- लाफ़ागढ़ की ऐतिहासिक मंदिर चैतुरगढ़ स्थित आदिशक्ति मां महिषासुर मर्दिनी देवी मन्दिर पहुंच मार्ग को प्रशासन के द्वारा बंद किये जाने को लेकर श्रद्धालु भड़क उठे हैं और प्रशासन के उक्त निर्णय को लेकर विरोध के स्वर मुखर होने लगे हैं।
चैतुरगढ़ स्थित देवी मंदिर क्षेत्र का ही नही वरन देश विदेश के हजारों भक्तों की आस्था का केंद्र है। जहां लोग दूर-दूर से आते हैं। जनसाधारण का पूजा कार्य, मनोकामना पूर्ति हेतु नवरात्र पर्व पर सैकड़ो ज्योति कलश प्रज्ज्वलित होता है ।परंतु कोरोना महामारी के कारण पिछला चैत्र पर्व चैत्र नवरात्रि ज्योति कलश प्रज्ज्वलित नहीं हो सका।वही इस शारदीय पर्व में भी पर्व नही मनाने का निर्णय लिया गया। प्रशासन के इस निर्णय को भक्तों ने शिरोधार्य भी किया। लेकिन नवरात्र के पहले दिन श्रद्धालु मंदिर के बाहर से ही दर्शन कर अपनी मनोकामना पूर्ण करने की इच्छा को लेकर पहुंचे थे। लेकिन प्रशासन ने चैतुरगढ़ पहुंचने वाले मार्ग पर ही बैरिकेड लगा दिया। इसकी पूर्व सूचना नहीं दी गई थी जिससे दूर दराज से आए श्रद्धालुओं को मायूस होकर लौटना पड़ा, जबकि आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के आए भक्तों ने इसका पुरजोर विरोध करते हुए प्रशासन को आड़े हाथों लिया। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि प्रवेश पहुंच मार्ग से बेरिकेट्स तत्काल नहीं हटाया गया तो वे आंदोलन हेतु बाध्य होंगे। भक्तों का कहना था कि कोबिड प्रोटोकोल का निर्णय शिरोधार्य है और शासन का नवरात्रि पूजा दर्शन आदि पर प्रतिबंध लगाने का भी उन्हें कोई विरोध नहीं है लेकिन मंदिर परिसर के आसपास पहुंच मार्ग को बंद किया जाना शासन की हिटलर शाही को दर्शाता है। चतुरगड़ मंदिर जाने के लिए रास्ता को बंद कर दिया गया है यह समझ से परे है । जनसाधारण एवं क्षेत्र के निवासियों की आस्था पर कुठाराघात किया गया है वह अनुचित है,आखिर ऐसा करके क्या संदेश देना चाह रहा है प्रशासन,हिन्दू संगठनों ने भी इसका विरोध करते हुए आस्था पर चोट बताया है।