कोरबा। एसईसीएल कुसमुंडा क्षेत्र एवं जिला प्रशासन द्वारा सयुंक्त कार्यवाही कर ग्राम खम्हरिया में अन्य ग्रामों के पुनर्वास के लिए कब्जा खाली कराने की कार्यवाही की जा रही है। उक्त ग्राम की जमीन अर्जन के लिए वर्ष 1983 में पारित अवार्ड में स्पष्ट रूप से 20 वर्ष पश्चात मूल खातेदारों को जमीन वापसी करने की शर्त रखी गयी है। ऐसी व्यवस्था के विपरीत जबरदस्ती किसानों से कब्जा खाली कराने को अन्यायपूर्ण कार्यवाही बताते हुए रोक लगाने की मांग की गई है।
ऊर्जाधानी भूविस्थापित किसान कल्याण समिति के अध्यक्ष सपूरन कुलदीप ने बताया कि राज्य के कोयला खदान के विकास हेतु भारत सरकार के अधिसूचना क्र. एस.ओ. 638 ई दिनांक 09.11.1978 के अंतर्गत ग्राम खम्हरिया तहसील कटघोरा के किसानों की भूमि का अधिग्रहण किया गया था। मध्यप्रदेश भू-राजस्व सहिता 1959 की धारा 247/1 के तहत भूमि का अधिग्रहण किया गया था और एस.ई.सी.एल. (तत्कालिन पश्चिमी कोयला प्रक्षेत्र) कुसमुण्डा कालरी के प्रबंधक द्वारा तत्कालिन अतिरिक्त कलेक्टर कोरबा (म.प्र.) से कोयला उत्खनन के लिए म.प्र. भू-राजस्व सहिता 1959 की धारा 247/3/ के तहत अनुमति चाही गई थी जिस पर 27/04/1983 को आदेश पारित कर पाँच बिंदुओ के शर्तों के आधार पर दखल करने का अधिकार दिया गया था।
0 यह था निर्देश
न्यायालय अतिरिक्त कलेक्टर के द्वारा उल्लेखित शर्तों के अनुसार पारित आदेश 27/04/1983 के 20 वर्षों के बाद उत्खनन् हुए क्षेत्र एवं आवास गृह, रेलवे लाईन, सडक़ आदि निर्माण के लिए चाही गई जमीन को 60 वर्षो के बाद भू-स्वामियों को वापस करना होगा। संबंधित व्यक्ति को भूमि के वापसी तक भू-राजस्व शासन द्वारा निर्धारित आधार पर अदा करना होगा। विस्थापित परिवारों को आवश्यक सुविधाएं कंपनी द्वारा उपलब्ध कराया जाएगा। राज्य शासन द्वारा समय-समय पर बनाए गये नियम व शर्तों के लिए कंपनी बंधनकारी होगा। श्री कुलदीप ने बताया कि इस आदेश पत्र में निहित शर्तो में अपने परियोजना अंतर्गत अन्य गाँवों को बसाहट दिए जाने का प्रावधान नहीं रखा गया था, उसके बावजूद इस क्षेत्र में पूर्व में पुनर्वास दिया गया जो अनुचित था। इसी तरह से वर्तमान में ग्राम खम्हरिया के शेष हिस्से को भी जहां पर मूल किसानों के आधिपत्य अथवा अर्जन से पूर्व की स्थिति अनुसार कृषि कार्य कर अपना जीवन यापन किया जा रहा है, उन्हें जबरदस्ती बेदखल कर पुनर्वास ग्राम के लिए विकास कार्य शुरू किया गया है जो आपत्तिजनक व किसानों के साथ घोर अन्याय है।
0 लिया गया है स्थगन आदेश
उक्त गाँव में एसईसीएल द्वारा कोई भी बुनियादी सुविधाएँ नही दी गई है और आज भी रोजगार के कई प्रकरण लंबित हंै। वर्तमान में नया भू-अधिग्रहण अधिनियम 2013 भी लागू हो चुका है। इसी आशय पर उक्त गाँव के ग्रामीणों द्वारा हाईकोर्ट बिलासपुर से स्टे ऑर्डर लिया गया है। अर्थात उक्त गाँव में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं करने का स्पष्ट आदेश जारी हुआ है। यदि आवश्यक ही था तो आवार्ड में दिए गए प्रावधान के अनुसार राज्य सरकार के नीति का पालन कर किसानों के पुन: अर्जन की कार्यवाही किया जाना था जिसका पालन नहीं किया गया। इस तरह की कार्यवाही किसानों को आंदोलन के लिए बाध्य करती है।