कोरिया (सेन्ट्रल छत्तीसगढ़) हिमांशु डिक्सेना : – जनपद पंचायत खड़गवां के मनरेगा योजना के तहत हुए शौचालय निर्माण कार्य में भ्रष्टाचार की शिकायत सामने आई है. भरदा गांव की पूर्व सरपंच ने कलेक्टर के जनदर्शन में हितग्राहियों को शौचालयों के भुगतान के लिए फर्जी बिल लगाने की शिकायत की थी.आरटीआई के तहत जांच करने पर भुगतान के लिए लगाए गए सभी बिल एक ही नंबर के पाए गए. कलेक्टर ने खड़गवां पुलिस को दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं.
217 शौचालय निर्माण कार्यो की स्वीकृति ग्राम पंचायत भरदा को निर्माण एजेंसी बनाकर दी गई थी. पहले चरण में कुल 170 शौचालयों के सभी प्रमाण पत्र और बिल जनपद पंचायत कार्यालय में जमा किए गए. ग्राम पंचायत के अनुसार सभी बिल 2 फर्म राजेश कुमार जायसवाल और मेसर्स विनोद कुमार सिंह के नाम से प्रस्तुत किए गए थे. ये जांच में सही पाए गए.
10 बिल के नंबर एक जैसे
पहले चरण में बने 160 शौचालयों के बिल पर सरपंच और सचिव के हस्ताक्षर हैं. बाकि के 10 बिल मूल प्रति में नहीं पाए गए ये बिल आयुष फलाई एश ब्रिक्स नाम के फर्म के हैं और सभी बिल पर एक ही नंबर 99 दर्ज है. ये सभी बिल अलग-अलग लिखावट में हैं. फर्म के मालिक से पूछने पर उसने बताया कि उसने सिर्फ एक ही बिल दिया था. बाकि के 9 बिल फोटोकॉपी कराकर लगाए गए हैं.
नहीं दर्ज किया गया प्रकरण
सरपंच से पूछताछ करने पर उसने बताया कि लिपिक गोपाल साहू और उसके सहयोगी श्रवण साहू ने 9 शौचालयों की सामग्री राशि 90 हजार रुपये नकद देने की बात कहकर एक बयान बनाया था और उसमें सरपंच के हस्ताक्षर लिए थे. इस भ्रष्टाचार में मुख्य रुप से दोषी लिपिक और आयुष फलाई एश ब्रिक्स के संचालक अजय कुमार साहू के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया गया.
कलेक्टर ने दिए कार्रवाई के निर्देश
पूर्व सरपंच ने बताया कि कलेक्टर ने दोषियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर कार्रवाई के निर्देश खड़गवां थाने को दिए थे. जिस पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है.आरटीआई के तहत जब थाने से इस प्रकरण संबंधित जानकारी मांगी गई तो थाने में इस संबंध में किसी प्रकार का अपराधिक प्रकरण दर्ज नहीं किया गया है.जबकि अप्रैल 2018 में ही थाना प्रभारी की सील लगाकर पावती दी गई थी.