हिमांशु डिक्सेना(कोरबा):- सन 1947 में हमारा देश आजाद होने के बाद बीते 72 साल में पहली बार कोरबा जिले की सड़कों का हाल वर्तमान में बद से भी बदहाल हो चुका है।इस जिले में स्थापित संयंत्रो,संचालित कोयला खदानों के साथ अन्य माध्यमो से शासन को प्रतिवर्ष करोडो का राजस्व प्राप्त हो रहा है।लेकिन प्रदेश के इस जिले की सड़कों का हाल देखकर यहां के विकास की गाथा सुनाना अब बेमानी सी लगने लगी है।बारिश पूर्व सड़क मरम्मत को लेकर प्रशासन द्वारा गंभीरता से ध्यान ना दिए जाने का परिणाम यह हुआ कि जिले से उरगा-चाँपा व कटघोरा-बिलासपुर को जोड़ने वाली एनएच मुख्यमार्ग पर विगत 10-12 दिनों से हर 10 से 15 मिनट के अंतराल में नियमित जाम की स्थिति निर्मित होने के साथ हादसों का डगर बन गया है।जिले के उक्त मार्गों पर सफर करने वाले लोग भी अब सड़क के नाम पर बड़े-बड़े डबरीनुमा गड्ढों से हिचकोले खाते एवं पसरे कीचड़ में आड़े तिरछे तरीके से किसी तरह गुजरकर मौत कुआँ पार कर लेने जैसा अनुभव महसूस करते हुए आगे बढ़ रहे है।जहाँ गाड़ी तो गाड़ी बैलगाड़ी तक हाँकना लगभग नामुमकिन सा हो गया है।वर्तमान में सड़क के हालात को लेकर प्रशासन भी बेबस लाचार है।क्योंकि ऐन समय में रोजाना किसी ना किसी वक्त बारिश के कारण सड़क मार्ग का जरा सा भी मरम्मत कार्य कराना मुमकिन नही है।ऐसे में रोजाना मिनटों-मिनटों में जाम के हालात निर्मित होने से वाहन चालकों,राहगीर,यात्रियों,मरीजों सहित परिवहन के माध्यम से जिले तक पहुँचने वाले नियमित महत्वपूर्ण सेवाएँ काफी हद तक बुरी तरह प्रभावित हुई है।जिसके कारण जिले की गतिविधि थम सी गई महसूस होने लगी है।नासूर बन चुके जिले की इस सड़कों पर स्थिति कब सामान्य होगी फिलहाल कुछ कहा नही जा सकता।वर्तमान में जाम से निपटने सड़क पर पुलिस की ड्यूटी लगा दी गई है।जहाँ कानून व्यवस्था कायम रखने के साथ-साथ अब सड़क पर भी टकटकी लगाए बैठे उन वर्दीधारियों के जेहन में भी एक सवाल उभरने लगा है कि सड़क निर्माण व मरम्मत करने वाले विभाग ऐसे सड़क क्यों नही बनाता जिसमे चोर भी चल सके और उनका पीछा करते हुए पुलिस भी,नेता भी चले और अधिकारी भी,मंत्री भी चले और संत्री भी,जन भी चले और जानवर भी….?लोगों का कहना है कि आजादी के 72 साल बाद में पहली बार कोरबा से उरगा-चाँपा मार्ग व कटघोरा से पाली (बिलासपुर) मार्ग की ऐसी हालत देखने को मिल रही है।ऐसे में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की एक बात याद आती है।वो यह कि *जो बीते 70 सालों में ना हुआ वो आज देखने को मिल रहा है।* फिलहाल हरेली तिहार के बाद जांजगीर चाँपा और बिलासपुर जिले को जोड़ने वाली मुख्य सड़क के हाल को लेकर *जहाँ न पहुंचे गाडी,वहीं से गुजरे गेड़ी* की सारांश पर जिले की जनता के सामने अब गाड़ी छोड़ गेड़ी चढ़ने के हालात पैदा हो गए है।