कोरबा। एनटीपीसी के कोरबा संयंत्र में कार्यरत ठेका कंपनियों के ठेकेदारों के द्वारा अधीनस्थ ठेका मजदूरों के आर्थिक हितों से खिलवाड़ कर उनका शोषण किया जा रहा है। ठेका श्रमिकों के वेतन का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा नगद आहरण करा कर वापस ले लिया जाता है। हर महिने बिना हिसाब-किताब का लाखों रुपए काला धन एनटीपीसी की जानकारी में ठेकेदारों द्वारा अर्जित किया जा रहा है। यहां श्रम कानूनों का पालन कराने श्रम विभाग को ठोस कदम उठाना चाहिए।
एनटीपीसी कामगार यूनियन संबंद्ध सीटू के महासचिव गुरूमूर्ति ने प्रेस क्लब तिलक भवन में पत्रवार्ता आहूत कर बताया कि एनटीपीसी संयंत्र में ठेकेदार यूपीएल कंपनी के माध्यम से किए जाते हैं। कंपनी में 3 स्टेजों में 6 ठेकेदारों से काम लिया जाता है। प्रतिदिन 55 मजदूरों से काम लिया जाना है। टेक्नोकेयर, श्यामवली चौहान, निगम इंटरप्राइजेस, पहलवान कंस्ट्रक्शन, कृष्णा इंजरप्राइजेस, एमपी सिंह, ओम कंस्ट्रक्शन और एके यादव ठेका कंपनी में कुल 118 मजदूर कार्यरत हैं। मजदूर हाऊस कीपिंग से लेकर अन्य काम में लगे हुए हैं। ठेकेदारों के द्वारा 477 रुपए प्रतिदिन की दर से मजदूरों को सप्ताह में वेतन दिया जाना है। इसके विपरीत ठेकेदार 300 से 350 रुपए की दर से वेतन देकर बाकी रकम को मुंशियों के द्वारा ऑनलाइन और नगद के माध्यम से आहरण कर लिया जाता है। इसके तहत हाऊस कीपिंग स्टेज-1, स्टेज-2 और मील साइट ठेकेदार कंपनी के अधिकारी व मुंशियों के माध्यम से रुपए वापस लिया जा रहा है। केएसटीपीएस प्रबंधन ने जानकारी देने के बाद भी इन ठेका कंपनियों पर कोई कार्यवाही न कर ठेका श्रमिकों को ही कार्य से हटा दिया। मांग की गई है कि यदि प्रबंधन पूर्ण न्यूनतम वेतन भुगतान नहीं करना चाहता है तो न्यूनतम वेतन से आवश्यक कटौती कर ठेका कंपनियों को वापस कर दें ताकि काला धन संग्रहण में ठेका श्रमिक मोहरा न बनें। महासचिव गुरूमूर्ति ने बताया कि ठेकेदारों के इस रवैय्ये की शिकायत एनटीपीसी प्रबंधन सहित केन्द्रीय सहायक श्रम आयुक्त बिलासपुर से भी की गई है। पत्रवार्ता में यूनियन के जिलाध्यक्ष एसएन बैनर्जी, महिला अध्यक्ष सुशीला बाई, छत्रपाल, दुर्गेश, माधव, दिनेश, निलेश, परमेश्वर सहित संयंत्र के हाउस कीपिंग में कार्यरत मजदूर उपस्थित थे।

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