अपनी शर्तों पर काम कराने मजदूरों पर दबाव, गेटपास भी नहीं बना रहे
कोरबा। एनटीपीसी/केएसटीपीएस परियोजना के अंदर, आवासीय परिसर एवं बुस्टर पंप हाऊस में न्यूनतम मजदूरी के नियमों का घोर उल्लंघन किया जा रहा है। इसके लिए एनटीपीसी प्रबंधन प्रमुख जिम्मेदार है जिसके द्वारा ठेका दिया जाता है। ठेका मजदूरों के साथ हो रहे अन्याय का समाधान न होने पर धरना-प्रदर्शन की चेतावनी दी गई है।
एनटीपीसी प्रबंधन यूपीएल या परियोजना के द्वारा ठेका प्रदान करता है और खासकर हाऊस कीपिंग में दिया जाने वाला ठेका एल-1 में दिया जाता है जो कम दर होता है। पिछला ठेका 2020 से 2022 का है जिसमें अधिकांश ठेका 10 प्रतिशत कम दर पर लिया गया था। ठेकेदार द्वारा सुरक्षा सामग्री, पीएफ, ईएसआईसी, बोनस आदि देना होता है। केंद्र से निर्धारित न्यूनतम मजदूरी को ठेंगा दिखाकर प्रबंधन कागजी कार्यवाही में खाना-पूर्ति कर रहा है। जमीनी स्तर पर हाऊस कीपिंग में न्यूनतम मजदूरी का पालन नहीं हो रहा है।
0 गेटपास रोक देते हैं
एनटीपीसी कामगार यूनियन के द्वारा मार्च-2022 से लगातार उप मुख्य श्रम आयुक्त केंद्रीय रायपुर एवं क्षेत्रीय श्रमायुक्त बिलासपुर को न्यूनतम मजदूरी का पालन कराने वेतन पर्ची देने हाजिरी कार्ड, वेतन समय पर नहीं मिलने की शिकायत पत्रों के जरिए करते हुए एनटीपीसी के मानव संसाधन विभाग एवं कान्ट्रैक्ट लेबर सेल को भी लिखित व मौखिक अवगत कराया जा रहा है। वेतन दो-तीन महीना विलंब से देने और मजदूरों के द्वारा संबंधित अधिकारी से शिकायत करने पर नेतागिरी करते हो कहकर गेटपास रोक दिया जाता है।
0 350 रुपए में समझौता का दबाव
अभी नया ठेका वर्ष 2023 से 2025 को 10 से 13 प्रतिशत कम दर पर लिया गया है। ठेकेदार एसोसिएशन के प्रतिनिधि मंडल द्वारा उप मुख्य श्रम आयुक्त के समक्ष आश्वासन दिया गया था कि दर में कोई समस्या नहीं आएगी परंतु ठेकेदारों के मुंशी मुख्य प्लांट स्टेज 1, 2, 3 एवं सीएचपी के चारों सेक्शन में कह रहे हैं कि 350 रुपए की दर से समझौता करोगे तभी गेटपास बनेगा अन्यथा नहीं। इस परियोजना में 5 से 20 वर्षों से भी ज्यादा समय से ठेका कर्मी काम कर रहे हैं। एनटीपीसी कामगार यूनियन के महासचिव गुरुमूर्ति ने बताया कि लगभग 65 महिला-पुरुष ठेका कर्मियों का गेटपास नहीं दिया गया है। इस संबंध में जिलाधीश को पत्र के जरिए अवगत कराया जा चुका है लेकिन मजदूरों का गेटपास न बनाकर परेशान किया जा रहा है। यूनियन ने कहा है कि यही रवैया रहा तो घंटाघर ओपन थियेटर में एनटीपीसी प्रबंधन व ठेकेदार के विरुद्ध धरना दिया जाएगा जिसके लिए प्रबंधन और यूपीएल जिम्मेदार होंगे।